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Question -

यशोधर बाबू किन जीवन-मूल्यों को थामे बैठे हैं? नई पीढ़ी उन्हें प्रासंगिक क्यों नहीं मानती? तर्कसम्मत उत्तर दीजिए।



Answer -

अथवा
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के पात्र किशनदा के उन जीवन-मूल्यों की चर्चा कीजिए जो यशोधर बाबू की सोच में आजीवन बने रहे। 
अथवा
‘सिल्वर वैडिंग’ के आधार पर उन जीवन-मूल्यों पर विचार कीजिए जो यशोधर बाबू को किशनदी से उत्तराधिकार में मिले थे। आप उनमें से किन्हें अपनाना चाहेंगे?

उत्तर:

‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में लेखक ने दो पीढ़ियों के अंतराल को बताया है। यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि उनकी पत्नी, बच्चे व सहयोगी नई पीढ़ी का। यशोधर बाबू निम्नलिखित जीवनमूल्यों को थामे हुए हैं

1. सादगी – यशोधर बाबू सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। आधुनिक वस्तुएँ उन्हें पसंद नहीं थी। वे साइकिल पर दफ्तर जाते थे तथा फटा पुलोवर पहनकर दूध लाते थे।
2. परंपराओं से लगावे – उनका अपनी संस्कृति से लगाव था। वे होली जैसे त्योहार पर कार्यक्रम करवाते थे।
3. सामूहिकता – यशोधर बाबू अपनी उन्नति के साथ-साथ रिश्तेदारों, साथियों की उन्नति के बारे में चिंतित रहते थे।
4. त्याग की भावना – यशोधर पंत में त्याग की भावना थी। उन्होंने कभी संग्रह की भावना नहीं अपनाई।
नई पीढ़ी यशोधर पंत के जीवन-मूल्यों को अप्रासंगिक मानती है। उनका लक्ष्य सिर्फ धन कमाना है। वे भौतिक चकाचौंध को ही सब कुछ मानते हैं। इसके अलावा, सामूहिक या संयुक्त परिवार के कष्ट उन्होंने अनुभव किए हैं। उन्हें व्यक्तिगत उन्नति के अवसर नहीं मिलते थे। इन सभी कारणों से नई पीढ़ी पुराने मूल्यों को स्वीकार नहीं करती।

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