Question -
Answer -
‘हैँजूझ‘ कहानी आज के किशोर–किशोरियों को कई जीवन–मूल्यों की प्रेरणा है सकती हैँ। उनमें से कुछ निम्नलिखित
संघर्षशीलता – किसी कार्य में सफलता माने के लिए संघर्षशील बहुत आवश्यक है। आज के किशोर– किशोरियों शॉर्टकट रास्ते पर चलकर सफलता पना चाहते हैं ताकि उन्हें कम–री–कम परिश्रम और संघर्ष करना पहुँ जबकि ‘जूझ‘ कहानी के नायक को जगह–जगह संघर्ष करना पडा।
दूरवशिता – ” जूझ‘ कहानी का नायक आनंदा दूरदशी है। वह अपनी दूरदर्शिता के यल पर अपने पित्ता को राव साहब के पास भेजने में सफल हो जाता है और अपने पिता के क्रोध रने बचते हुए उन्हें अपनी पकाई के लिए राजी कर लेता है। आधुनिक किशोर–किशोरियों को भी दूरदर्शी बनना चाहिए।
परिअमक्रलता – आधुनिक किशोर–किशोरियों को आनंदा के समान परिश्रमी बनना चाहिए। आनंदा पकाई के साथ खेल में कठोर परिश्रम करता है और सफलता अजित करता है।
लग-शीलता – परिश्रम के अलावा किसी काम में सफलता याने के लिए लगन होना भी आवश्यक है। आख्या डंढ़ साल बाद विदूयालय जाता है और अपनी लगन रने कक्षा के होशियार बच्चों में गिना जाने लगता है। आधुनिक विहार-किशोरियों को भी लगनशील बनना चाहिए।