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Question -

किशनदा का बुढ़ापा सुखी क्यों नहीं रहा?



Answer -

बाल-जती किशनदा का बुढ़ापा सुखी नहीं रहा। उनके तमाम साथियों ने हौजखास, ग्रीनपार्क, कैलाश कहीं-न-कहीं ज़मीन ली, मकान बनवाया, लेकिन उन्होंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। रिटायर होने के छह महीने बाद जब उन्हें क्वार्टर खाली करना पड़ा तब उनके द्वारा उपकृत लोगों में से एक ने भी उन्हें अपने यहाँ रखने की पेशकश नहीं की। स्वयं यशोधर बाबू उनके सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रख पाए क्योंकि उस समय तक उनकी शादी हो चुकी थी और उनके दो कमरों के क्वार्टर में तीन परिवार रहा करते थे। किशनदा कुछ साल राजेंद्र नगर में किराए का क्वार्टर लेकर रहे और फिर अपने गाँव लौट गए जहाँ साल भर बाद उनकी मृत्यु हो गई। विचित्र बात यह है कि उन्हें कोई भी बीमारी नहीं हुई। बस रिटायर होने के बाद मुरझाते-सूखते ही चले गए। अकेलेपन ने उनके अंदर की जीवनशक्ति को समाप्त कर दिया था।

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