Question -
Answer -
मुअनजोदड़ो के अजायबघर में प्रदर्शित चीज़ों में औज़ार तो हैं, पर हथियार कोई नहीं है। मुअनजोदड़ो क्या, हड़प्पा से लेकर हरियाणा तक समूची सिंधु सभ्यता में हथियार उस तरह कहीं नहीं मिले हैं जैसे किसी राजतंत्र में होते हैं। इस बात को लेकर विद्वान सिंधु सभ्यता में शासन या सामाजिक प्रबंध के तौर-तरीके को समझने की कोशिश कर रहे हैं। वहाँ अनुशासन ज़रूर था, पर ताकत के बल पर नहीं। वे मानते हैं कोई सैन्य सत्ता शायद यहाँ न रही हो। मगर कोई अनुशासन ज़रूर था जो नगर योजना, वास्तुशिल्प, मुहर-ठप्पों, पानी या साफ़-सफ़ाई जैसी सामाजिक व्यवस्थाओं आदि में एकरूपता तक को कायम रखे हुए था।
दूसरी बात, जो सांस्कृतिक धरातल पर सिंधु घाटी सभ्यता को दूसरी सभ्यताओं से अलग ला खड़ा करती है, वह है प्रभुत्व या दिखावे के तेवर का नदारद होना। दूसरी जगहों पर राजतंत्र या धर्मतंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाले महल, उपासना-स्थल, मूर्तियाँ और पिरामिड आदि मिलते हैं। हड़प्पा संस्कृति में न भव्य राजप्रसाद मिले हैं, न मंदिर। न राजाओं, महंतों की समाधियाँ। यहाँ के मूर्तिशिल्प छोटे हैं और औज़ार भी। मुअनजोदड़ो के नरेश’ के सिर पर जो ‘मुकुट’ है, शायद उससे छोटे सिरपंच की कल्पना भी नहीं की जा सकती। और तो और, उन लोगों की नावें बनावट में मिस्र की नावों जैसी होते हुए भी आकार में छोटी रहीं। आज के मुहावरे में कह सकते हैं वह ‘लो-प्रोफाइल’ सभ्यता थी।