Question -
Answer -
सिंधु घाटी में जल की व्यवस्था अति उत्तम थी। यहाँ पर कुएँ पकी हुई एक ही आकार की ईंटों से बने हैं। इतिहासकारों का मानना है कि यह सभ्यता संसार में पहली ज्ञात संस्कृति है जो कुएँ खोदकर भूजल तक पहुँची। यहाँ लगभग सात सौ कुएँ थे। इसके अतिरिक्त स्नानागार की व्यवस्था हर घर में है। पानी के रिसाव को रोकने का उत्तम प्रबंध था। जल निकासी के लिए नालियाँ व नाले बने हुए थे जो ढके हुए थे। इस तरह सिंधु सभ्यता में जल संरक्षण पर उचित ध्यान दिया गया था। वर्तमान समय में पूरी दुनिया में जल संकट का हाहाकार मचा हुआ है। लातूर, राजस्थान आदि क्षेत्रों के संकट से हर कोई परिचित है। जल संकट के प्रमुख कारण जनसंख्या वृधि व अनियोजित जल संरक्षण प्रणाली है। जल की कमी नहीं है, परंतु उसका वितरण सही नहीं है। जल संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय हैं –
- पानी को दूषित होने से बचाने के उपाय करने चाहिए।
- पानी का दुरुपयोग विशेषकर उसका समुचित वितरण करना चाहिए।
- वर्षा के जल के उचित भंडारण की व्यवस्था हो।
- अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
- नदी-नालों, तालाबों को प्रदूषण मुक्त रखना चाहिए।