Question -
Answer -
विद्वानों का मानना है कि यहाँ ज्वार, बाजरा और रागी की उपज भी होती थी। लोग खजूर, खरबूजे और अंगूर उगाते थे। झाड़ियों से बेर जमा करते थे। कपास की खेती भी होती थी। कपास को छोड़कर बाकी सबके बीज मिले हैं और उन्हें परखा गया है। कपास के बीज तो नहीं, पर सूती कपड़ा मिला है। ये दुनिया में सूत के दो सबसे पुराने नमूनों में एक है। दूसरा सूती कपड़ा तीन हज़ार ईसा पूर्व का है जो जॉर्डन में मिला। मुअनजोदड़ो में सूत की कताई-बुनाई के साथ रंगाई भी होती थी। रंगाई का एक छोटा कारखाना खुदाई में माधोस्वरूप वत्स को मिला था। छालटी (लिनन) और ऊपन कहते हैं। यहाँ सुमेर से आयात होते थे। शायद सूत उनको निर्यात होता हो। बाद में सिंध से मध्य एशिया और यूरोप को सदियों तक हुआ। प्रसंगवश, मेसोपोटामिया के शिलालेखों में मोहनजोदड़ो के लिए ‘मेलुहा’ शब्द का संभावित प्रयोग मिलता है।