Question -
Answer -
‘जूझ है कहानी का नायक आनंदा अर्थात लेखक की छात्रावस्था में परिस्थितियों अत्यंत विपरीत थीं। उसके पिता के लिए खेती ही सब कुछ थी। पदा–लिखाई के प्रति उसकी सोच अच्छी न थी। वे लेखक से खेती का काम करवाने के अलावा पशु चराने का काम भी करवाना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने आनंदा की पढाई छुडवा दी थी। आनंदा उनसे पकाई की बात कहते हुए भी डरता था। उसे डर था कि वे पढाई का नाम सुनते ही हद्धूडी–पसली एक कर देगे। दस्ता जी राव सरकार के समझाने पर उन्होंने आनंदा को स्कूल भेजने की स्वीकृति तो है बी, पर यह भी शर्त रख दी कि प्रतिदिन शाम को खेत पर काम करने जरूर आएगा। “हाँ यहि नहीं आया किसी दिन तो देख, गाँव मेंजहाँ मिलेगा यहीं कुचलता हूँ कि नहीं, तुझे। तेरे उपर पढ़ने का भूत सवार हुआ है। मुझे मालूम है, बालिस्टर नहीं होने वाला है तू?” इसके अलावा लेखक का दाखिल पाँचवीं कक्षा में हुआ, जहाँ दो लड़कों को छोड़कर बाकी सारे लड़के नए थे। उनमें शरारती लड़के उसका मजाक उडाते थे और उसका गमछा छीनकर अध्यापक की मेज़ यर रख देते के मध्यातर की छुटूटी में बच्चों ने उसकी धोती खेलकर उसे तंग करने का प्रयास किया, फिर भी लेखक अत्यंत परिश्रम से अपनी पढाई के पति समर्पित रहा। यदि लेखक को जगह मैं होता तो इन परेशानियों और विपरीत परिस्थितियों के बांच मैं भी लेखक की तरह अडिग रहता और अपनी पढाई के प्रति कठिन मेहनत करते हुए अपने सपनों को जीवित रखने का हरसंभव प्रयास करता और सफलता प्राप्त करना।