Question -
Answer -
ऐन की डायरी में युद्ध-पीड़ितों की ऐसी सूक्ष्म पीड़ाओं का सच्चा वर्णन है जैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। ह से पीड़ितों के प्रति हमारा मन करुणा और दया से भर जाता है। मन में हिंसा और युद्ध के प्रति घृणा का भाव आता है। हम सोचते हैं कि युद्ध, विजेता और पराजित दोनों पक्षों के लिए ही आघात तथा पीड़ा देने वाला होता है। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी नागरिकों के नन्हे बच्चों को कितना भटकना पड़ता है, यह पीड़ा की पराकाष्ठा है। यदि ऐन के साथ ऐसा बुरा व्यवहार न हुआ होता तो उसकी इस तरह अकाल मृत्यु न हुई होती। ऐन के परिवार के साथ जैसा हुआ वैसा न जाने कितने लोगों के साथ हुआ होगा। इसलिए वे लोग, जो युद्ध का कारण बनते हैं, ऐन की डायरी पढ़कर उसे अपने प्रति अनुभव करके देखें।