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Question -

बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है – और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं। चर्चा कीजिए।



Answer -

इन दोनों में अंतर्विरोध है। कविता के प्रारंभ में कवि जीवन के हर सुख-दुख को सहर्ष स्वीकार करता है, क्योंकि यह सब उसकी प्रियतमा को प्यारा है। हर घटना, हर परिणाम को प्रिया की देन मानता है। दूसरी तरफ वह प्रिया की आत्मीयता को बरदाश्त नहीं कर पा रहा। एक की स्वीकृति तथा दूसरे की अस्वीकृति-दोनों में अंतर्विरोध है। कवि का आशय यह है कि अभी तक तो उसने सब कुछ सहर्ष स्वीकार कर लिया है, परंतु अब उसकी सहन-शक्ति समाप्त हो रही है।

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