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Question -

‘सहर्ष स्वीकारा है’ में कवि ने जिस चाँदनी को स्वयं सहर्ष स्वीकारा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह अंग-अंग में अमावस की चाह क्यों कर रहा है?



Answer -

कवि ने जिस चाँदनी को स्वयं स्वीकार किया था, अब उससे मुक्ति पाना चाहता है। इसका कारण यह है कि कवि अपनी अतिशय भावुकता और संवेदनशीलता से तंग आ चुका है। वह अपनी इस अति कोमलता से छुटकारा पाने के लिए एक ओर अंधकारमयी विस्मृति में खो जाने का दंड पाना चाहता है। कवि का हृदय अपराधबोध से ग्रसित हो जाता है। वह प्रिय को विस्मृत करने की भूल का दंड भी प्रिय से ही चाहता है क्योंकि यह उसका अपनी प्रेयसी के निश्छल प्रेम के प्रति विश्वासघात था। वह अपने अपराध का दंड भुगतने के लिए घोर अंधकारमयी विस्मृति में खो जाना चाहता है।

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