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Question -

“रिश्तों में हमारी भावना – शक्ति का बँट जाना ,विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजनी हमारी बुदिध की शक्ति को कमज़ोर करती है। ” पाठ में जीजी लेखक की भावना के संदर्ब में इस कथन के ओचित्य की समीक्षा कीजिए ?



Answer -

यह कथन पूर्णत: सत्य है। रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाती है। ऐसे में विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति कमजोर हो जाती है। इस पाठ में जीजी लेखक को बेपनाह स्नेह करती हैं। वे अनेक तरह की धार्मिक क्रियाएँ लेखक से करवाती थीं जिन्हें लेखक अंधविश्वास मानता था। इंदर सेना पर पानी फेंकने से मना करने पर जीजी अपने तर्क देती हैं। लेखक उन तकों की काट नहीं दे पाता, क्योंकि उन तकों के पीछे भावनात्मक लगाव था। भावना में जीवन के अनेक सत्य छिप जाते हैं तो कुछ प्रकट हो जाते हैं। बुद्धि शुष्क होती है तथा तर्क पर आधारित होती है। भावना में तर्क का स्थान नहीं होता, वहाँ विश्वास ही प्रमुख होता है। विश्वास खंडित होने पर रिश्ते समाप्त हो जाते हैं तथा समाज का ढाँचा बिखर जाता है।

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