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Question -

रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे भाई के हैं बाँधती चमकती राखी”-इस रुबाई का कला सौंदर्य स्पष्ट करें।



Answer -

भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली है। शायर ने उर्दू शब्दों के साथ-साथ देशज शब्दों का भावानुकूल प्रयोग किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और रूपक अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।

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