Question -
Answer -
भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी( स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती। सेवक भी स्वामी के चले जाने के आश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते है जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।