Question -
Answer -
‘ बादल राग’ कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आहवान क्रांति के रूप में करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रूखा-सूखा और मुरझाया-सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे अधिक उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।