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Question -

तुलसी ने यह कहने की ज़रूरत क्यों समझी? धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ/काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहूकी जाति बिगार न सोऊ।



Answer -

 इस सवैया में काहू के बेटासों बेटी न ब्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आती?

उत्तर

तुलसीदास के युग में जाति संबंधी नियम अत्यधिक कठोर हो गए थे। तुलसी के संबंध में भी समाज ने उनके कुल व जाति पर प्रश्नचिहन लगाए थे। कवि भक्त था तथा उसे सांसारिक संबंधों में कोई रुचि नहीं थी। वह कहता है कि उसे अपने बेटे का विवाह किसी की बेटी से नहीं करना। इससे किसी की जाति खराब नहीं होगी क्योंकि लड़की वाला अपनी जाति के वर ढूँढ़ता है। पुरुष-प्रधान समाज में लड़की की जाति विवाह के बाद बदल जाती है। तुलसी इस सवैये में अगर अपनी बेटी की शादी की बात करते तो संदर्भ में बहुत अंतर आ जाता। इससे तुलसी के परिवार की जाति खराब हो जाती। दूसरे, समाज में लड़की का विवाह न करना गलत समझा जाता है। तीसरे, तुलसी बिना जाँच के अपनी लड़की की शादी करते तो समाज में जाति-प्रथा पर कठोर आघात होता। इससे सामाजिक संघर्ष भी बढ़ सकता था।

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