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Question -

चैप्लिन ने न सिर्फ फ़िल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने का और वर्ण व्यवस्था तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इससे सहमत हैं?



Answer -

लोकतांत्रिक बनाने का मतलब है कि चैप्लिन ने अपनी फ़िल्मों के माध्यम से कला को सभी के लिए अनिवार्य माना है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए कला नहीं होती। वास्तव में चैप्लिन भीड़ में खड़े उस बच्चे के समान हैं जो इशारों से बता देता है कि राजा और प्रजा समान हैं दोनों में कोई अंतर नहीं। वर्ण व्यवस्था तोड़ने से आशय है कि फ़िल्में किसी जाति विशेष के लिए नहीं बनती। उसे सभी लोग देख सकते हैं। चार्ली की फ़िल्में सभी वर्ग और वर्ण के लोगों ने देखी। हम इस बात से सहमत हैं कि लेखक ने चार्ली के बारे में ठीक कहा है।

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