Question -
Answer -
जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।
जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
उत्तर
जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ – समाज में ऐसे अनेक प्रसंग हैं जिसमें पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।’निठारी कांड’ में पैसे की ताकत साफ़ दिखाई देती है। गरीब बच्चों को मारकर दूकसताने वालेकेखिताफ़मुक्दमा भीइंगसेनाह चताया गया तथा उसकेगबनकरक दषकर दिया गया।
जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई – समाज में अनेक उदाहरण ऐसे भी हैं जहाँ पैसे की शक्ति काम नहीं आती। ‘जेसिका लाल हत्याकांड’ में अपराधी को अपार धन खर्च करने के बाद भी सजा मिली। इस प्रकार के अन्य प्रसंग विद्यार्थी स्वयं लिखें।