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Question -

निम्नलिखित पंक्तियों का सौंदर्यबोध स्पष्ट करें



Answer -

(क) कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने !
बाहर-भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

(ख) आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।

उत्तर

(क) इन पंक्तियों में कवि बताता है कि कविता प्रकृति से प्रेरणा लेती है और उसके आधार पर रचना की जाती है। फूल कविता के खिलने को नहीं जानते। वे सीमित समय के लिए जीवि रहते हैं, परंतु कविता रूपी फूल अमर है। कविताओं की महक सदा रहती है। कविता में साहित्यिक खड़ी बोली है। कविता का ‘मुरझाए महकने’ में अनुप्रास अलंकार है। प्रश्न अलंकार है। मानवीकरण अलंकार है। पूरी कविता में लक्षणिकता है। मुक्त छंद होते हुए भी लय है। मिश्रित शब्दावली है।

(ख) इन पंक्तियों में कवि ने भाषा की जोरज़बरदस्ती का वर्णन किया है। कवि भाषा के सौंदर्य में उलझकर रह गया। उसने भाव की अपेक्षा भाषा पर ध्यान दिया और परिणामस्वरूप भाव की गहराई समाप्त हो गई और भाव भाषा के सौंदर्य में खो गया। कवि ने भाषा की विस्तारता का वर्णन किया है। ज़ोर ज़बरदस्ती’ अनुप्रास अलंकार है। ‘चूड़ी मरना’ लाक्षणिक प्रयोग है। लाक्षणिकता है। साहित्यिक खड़ी बोली है। मुक्त छंद है। मिश्रित शब्दावली है। भाषा सहज व सरल है। गतिशीलता है। दृश्य चित्र है।

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