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Question -

निम्नलिखित काव्यांशों का सौंदर्यबोध बताइए



Answer -

(क) गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब यह विचार-वैभव सब दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब मौलिक है, मौलिक है। इसलिए कि पल-पल में जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है संवेदन तुम्हारा !!

(ख) सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवरों में धुएँ के बादलों में बिलकुल मैं लापता लापता कि वहाँ भी तो तुम्हारा भी सहारा है!! इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है। या मेरा जो होता-सा लगता है, होता-सा संभव है। सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यों का घेरा है, कार्यों का वैभव है। अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है। सहर्ष स्वीकारा है। इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है। वह तुम्हें प्यारा है।

उत्तर

(क) कवि ने इस अंश में यह माना है कि उसके जीवन के सारे अनुभव उसकी प्रेमिका की देन हैं, ‘गरबीली गरीबी में विशेषण का प्रयोग है। ‘मौलिक’, ‘पल-पल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। भीतर की सरिता’ में लाक्षणिकता है। अनुप्रास अलंकार की छटा है। खड़ी बोली है। मिश्रित शब्दावली है। मुक्त छंद है।

(ख) इस अंश में कवि बताता है कि उसने जो कुछ पाया है, वह प्रेमिका के कारण ही उसे मिला है। ‘लापता कि… सहारा है’, में विरोधाभास अलंकार है। ‘कारण के कार्यों का’ में अनुप्रास अलंकार है। ‘पाताली अँधेरे का गुफा, विवर आदि से अपराध बोध व्यक्त होता है। खड़ी बोली है। तत्सम शब्दों का अधिक प्रयोग है। मुक्त छंद होते हुए भी प्रवाह है। लाक्षणिकता है।

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