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Question -

‘उषा’ कविता में प्रातःकालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता व उज्ज्वलता से संबंधित पंक्तियों को बताइए।



Answer -

पवित्रता- राख से लीपा हुआ चौका।
निर्मलता- बहुत काली सिल जरा से केसर से/कि जैसे धुल गई हो।
उज्ज्वलता-

नीले जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।

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