Question -
Answer -
अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी ने रिश्तों की सच्चाई जानी। उसने जाना कि रिश्तों का संबंध दिल से होता है, अन्यथा रिश्ते बेगाने होते हैं। पति का घर छोड़कर आने के बाद वह अकेली व असहाय थी। वह अकेले ही बच्चों के साथ किराये के मकान में रहने लगी। वह खुद ही काम ढूँढ़ने जाती। हालाँकि उसके समीप ही भाई व रिश्तेदार रहते थे, परंतु किसी ने उसकी सहायता नहीं की। वे उससे मिलने तक नहीं आए। उसे अपनी माँ की मृत्यु का समाचार तक छह महीन बाद अपने पिता से मिला। दूसरी तरफ, बाहरी व्यक्तियों ने उसकी सहायता की। सुनील नामक युवक ने उसे काम दिलवाया, तातुश ने उसे बेटी के समान माना तथा उसकी हर तरीके से मदद की। उनके प्रोत्साहन से वह लेखिका बन पाई। मकान टूटने के बाद भोला दा उसके साथ रात भर खुले आसमान में बैठा रहा। इस प्रकार दिल में स्नेह हो तो रिश्ते बन जाते हैं।