Question -
Answer -
इन पंक्तियों में कवि स्वाधीनता आंदोलन का वह सेनानी है जो जेल की यातना झेलकर भी यातनाओं की जानकारी अपने परिवार के लोगों को इसलिए नहीं देना चाहता है, क्योंकि इससे वे दुखी होंगे। कवि कहता है कि हे सावन ! उन्हें मत बताना कि मैं अस्त हूँ। यहाँ जैसा दुखदायी माहौल है उसकी जानकारी मेरे घरवालों को मत देना। उन्हें यह मत बताना । कि मैं ठीक से सो भी नहीं पाता और मनुष्य से भागता हूँ। कहीं उन्हें यह मत बताना कि जेल की यातनाओं से मैं मौन हो गया हूँ, कुछ नहीं बोलता। मैं स्वयं यह नहीं समझ पा रहा कि मैं कौन हूँ? अर्थात् देश-प्रेम अपराध की सजा? कहीं ऐसा न हो कि मेरे माता-पिता को शक हो जाए कि मैं दुखी हूँ और वे मेरे लिए रोने लगें हे सावन! तुम बरस लो जितना बरसना है, पर मेरे माता-पिता को रोना न पड़े। अपने पाँचवें पुत्र के लिए वे न तरसे अर्थात् वे हर हाल में खुश रहें। कवि उन्हें ऐसा कोई संदेश नहीं देना चाहता जो दुख का कारण बने।