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Question -

जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है, तभी उसके माँ-बाप दयूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ. यह कोई मजबूरी तो है नहीं-प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क दीजिए।



Answer -

रजनी ट्यूशन के रैकेट के बारे में निदेशक के पास जाती है। उसे बताती है कि बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन करने के लिए कहा जाता है। ऐसे लोगों के बारे में बोर्ड क्या कर रहा है? निदेशक ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। वे सहज भाव से कहते हैं कि ट्यूशन करने में कोई मजबूरी नहीं है। कमजोर बच्चे को ट्यूशन पढ़ना पड़ता है। अगर कोई अध्यापक उन्हें लूटता है तो वे दूसरे के पास चले जाएँ।
शिक्षा निदेशक का यह जवाब बहुत घटिया व गैरजिम्मेदाराना है। वे ट्यूशन को बुरा नहीं मानते। उन्हें इसमें गंभीरता नज़र नहीं आती। वे बच्चों के शोषण को नहीं रोकना चाहते। ऐसी बातें कहकर वह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है।

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