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Question -

‘रहो न यों कि एक से न काम और का सरे’ के माध्यम से कवि क्या सीख देना चाहता है?



Answer -

रहो न यों कि एक से न काम और का सरे’ के माध्यम से कवि मनुष्य को यह सीख देना चाहता है कि हे मनुष्य! तुम इस तरह से स्वार्थी और आत्मकेंद्रित बन मत जियो कि दूसरों के सुख-दुख से कोई लेना-देना ही न रह जाए और तुम संवेदनहीनता की पराकाष्ठा छू लो। कवि चाहता है कि मनुष्य को एक-दूसरे को सहारा देना चाहिए, मदद करनी चाहिए ताकि उसका रुका काम भी बन जाए। वह चाहता है कि सभी परोपकारी बन जाएँ।

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