MENU
Question -

जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।



Answer -

भाव-इस पंक्ति का भाव यह है कि ग्रीष्म ऋतु के प्रचंड ताप से संपूर्ण वन तपोवन जैसा पवित्र बन गया है। अब यहाँ हिंसा का नामोनिशान नहीं है। आपसी वैर-भाव को भूलकर सबमें मैत्रीभाव विकसित हो गया है। शेर-हिरण, साँप-मोर जैसे शत्रु भी समान रूप से एक-दूसरे पर आक्रमण किए बिना गर्मी सहन कर रहे हैं जैसे तपस्वियों का सान्निध्य पाकर वैर-भाव रखने वाले हिंसक पशु भी एक साथ निवास करते हैं।

Comment(S)

Show all Coment

Leave a Comment

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×