Question -
Answer -
जेठ मास की दोपहर की प्रचंड गरमी में तो छाया भी छाया की इच्छा करने लगती है अर्थात् छाया रूपी नायिका भी जेठ मास की प्रचंड गरमी में घर से बाहर नहीं निकलना चाहती, क्योंकि भीषण गरमी प्राणियों के साथ-साथ प्रकृति को भी दग्ध कर देती है, तो लगता है कि छाया भी कहीं छिपकर बैठ गई है।