Question -
Answer -
भाव-सौंदर्य-इन पंक्तियों में मीरा दासी बनकर अपने आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। इससे उन्हें प्रभु स्मरण, भक्ति रूपी जागीर तथा दर्शनों की अभिलाषा रूपी संपत्ति की प्राप्ति होगी अर्थात् श्रीकृष्ण की भक्ति को ही मीरा अपनी संपत्ति मानती हैं।
शिल्प-सौंदर्य-
प्रभावशाली राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है।
‘भाव भगती’ में भ’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है तथा ‘भाव भगती जागीरो’ में रूपक अलंकार है।
मीराबाई की दास्य तथा अनन्य भक्ति को दर्शाया गया है।
“खरची’, ‘सरसी’ में पद मैत्री है।