MENU

Chapter 17 कारतूस Solutions

Question - 21 : -
अंग्रेज़ सैनिक वजीर अली को पकड़ने का प्रयास कब और कहाँ कर रहे थे?

Answer - 21 : -

सन् 1799 के आसपास का समय होगा जब अंग्रेजों ने वज़ीर अली को शासन से हटाया था और उसे काशी भेज दिया था। वजीर अली अंग्रेजों से नफ़रत करता था। उसने कंपनी के वकील की हत्या कर दी और गोरखपुर के जंगलों में जा छिपा। अंग्रेज़ सैनिक वहीं जंगल में खेमा डालकर वज़ीर अली को पकड़ने का प्रयास कर रहे थे।

Question - 22 : -
शाहे-जमा कौन था? उसे वजीर अली ने भारत आने के लिए क्यों आमंत्रित किया?

Answer - 22 : -

शाहे-जमा अफगानिस्तान का शक्तिशाली शासक था। उसे वज़ीर अली ने भारत आने के लिए इसलिए आमंत्रित किया ताकि वह भारत पर हमला करे। इसी समय वजीर अली भी उसका साथ पाकर अंग्रेजों पर हमला कर दे। इस तरह उसकी योजना थी कि वह शाहे-ज़मा के सहयोग से अंग्रेजों को भारत से भगा देगा और अपनी खोई सत्ता हासिल कर लेगा।

Question - 23 : -
अवध की सत्ता सआदत अली को सौंपने से क्या लाभ हुआ?

Answer - 23 : -

Question - 24 : -
सआदत अली सत्ता लोलुप था? स्पष्ट कीजिए।

Answer - 24 : -

सआदत अली अवध के नवाब आसिफउद्दौला का भाई था। उसकी निगाह अवध की सत्ता पर थी। वजीर अली के रूप में जब आसिफउद्दौला को पुत्र प्राप्ति हुई तो इससे सआदत अली को अपने सपने टूटते नजर आए। सत्ता पाने के लिए ही वह अंग्रेजों की चापलूसी करने लगा और उनसे हाथ मिला लिया। अंग्रेजों ने वजीर अली को सत्ता से हटाकर उसे शासक बना दिया और अवध की जायदाद व संपत्ति को आधा-आधा बाँट लिया।

Question - 25 : -
वज़ीर अली ने गवर्नर जनरल से अपनी नराजगी का बदला वकील से लिया?

Answer - 25 : -

वज़ीर अली एक देशभक्त एवं स्वाभिमानी शासक था। वह अंग्रेजों को पसंद नहीं करता था, पर जब से गवर्नर जनरल ने उससे सत्ता छीनकर सआदत अली को सौंपी तभी से गवर्नर जनरल से बेहद नाराज था। गवर्नर जनरल ने जब उसे काशी से कोलकाता बुलवाया तो उसकी यह नाराजगी और भी बढ़ गई। मौका मिलते ही उसने इस नाराजगी का बदला वकील की हत्या करके लिया।

Question - 26 : -
वज़ीर अली ने किस तरह कर्नल को मात दी?

Answer - 26 : -

वज़ीर अली को पकड़ने के लिए कर्नल ने पूरे लाव-लशकर के साथ खेमा डाल रखा था। वह इसी अवसर में था कैसे भी वज़ीर अली को पकड़ा जाए पर एक रात्रि स्वयं वज़ीर अली कर्नल के खेमे में आया और उससे दस कारतूस ही नहीं लिया बल्कि कारतूस देने के बदले उसकी जान बख्शने की बात कहकर चला गया। इस तरह वज़ीर अली ने अपने साहस और चतुराई से कर्नल को मात दी।

Question - 27 : -
भारतीय नवाबों ने अंग्रेज़ों से पीछा छुड़ाने के लिए विदेशी शासकों का भी सहारा लिया इसमें वे कितना सफल रहे। पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

Answer - 27 : -

भारतीय नवाबों को जब अंग्रेजों की कुटिल नीतियाँ समझ में आईं तो उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करना शुरू कर दिया पर शायद तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अंग्रेज़ ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति अपनाते हुए संपूर्ण भारत पर शासन करने का हर संभव हथकंडा अपना रहे थे। भारतीय नवाब भी उनकी नीतियों का विरोध करते हुए उनसे युद्ध किया। इसमें सफलता न मिलती देखकर उन्होंने अफगानिस्तान के शासक शाहे-जमा को भी भारत पर हमला करने के लिए आमंत्रित किया। इस क्रम में टीपू सुल्तान ने सबसे पहले इस अफ़गान शासक को बुलावा भेजा। फिर बंगाल के नवाब शमसुद्दौला और अवध के नवाब वजीर अली ने शाहे-जमा को बुलावा भेजा पर इस प्रयास से भी अंग्रेजों से पीछा छुड़ाने में असफल रहे।

Question - 28 : -
वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख ‘कारतूस’ पाठ के आधार पर कीजिए।

Answer - 28 : -

‘कारतूस’ पाठ से ज्ञात होता है कि वज़ीर अली अत्यंत साहसी, वीर, महत्त्वाकांक्षी और स्वाभिमानी शासक था। अवध की सत्ता छिनने के बाद उसके इन गुणों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

साहसी – वज़ीर अली के साहस की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम ही है। वह कर्नल के कैंप में घुसकर उससे कारतूस लाता है वह कंपनी के वकील की हत्या पहले ही कर चुका था। ये उसके साहसी होने के प्रमाण हैं।
वीर – वज़ीर अली इतना वीर है कि अवध की सत्ता छिनने के बाद भी अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए कटिबद्ध रहता है।
महत्त्वाकांक्षी – वज़ीर अली महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति है। वह अवध का शासक बनने की महत्त्वाकांक्षा सदा बनाए रखता है।
स्वाभिमानी – वज़ीर अली इतना स्वाभिमानी है कि वह कंपनी के वकील की अपमानजनक बातों को सह नहीं पाता। है और उसकी हत्या कर देता है।

Question - 29 : -
‘कारतूस’ पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।

Answer - 29 : -

‘कारतूस’ नामक एकांकी के माध्यम से खोई आज़ादी की कीमत पहचानने, उसकी रक्षा करने का संदेश दिया गया है। पाठ के माध्यम से बताया गया है कि हम यदि समय रहते सचेत न हुए तो हमें गुलाम होने से कोई भी नहीं बचा सकता है। हमें देश प्रेम, देशभक्ति, साहस, त्याग जैसी मानवीय भावनाएँ सदा प्रगाढ़ रखनी चाहिए। जिस तरह कुछ नवाबों ने अंत तक देश को आजाद कराने का प्रयास किया तथा अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की उसी प्रकार हमें भी किसी लोभ या स्वार्थ के वशीभूत हुए बिना आज़ादी बनाए रखना चाहिए।

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×