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Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक Solutions

Question - 11 : -
लेखक ने फ़ादर का शब्द चित्र किस तरह खींचा है?

Answer - 11 : -

लेखक ने फ़ादर का शब्द चित्र खींचते हुए लिखा है-एक लंबी पादरी के सफ़ेद चोगे से ढकी आकृति, गोरा रंग, सफ़ेद झाँई मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखें, बाँहे खोलकर गले लगाने को आतुर, जिनका दबाव लेखक अपनी छाती पर महसूस करता है।

Question - 12 : -
‘परिमल’ क्या है? लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते हैं?

Answer - 12 : -

‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे लेखक एवं अन्य साहित्यकारों के हँसी-मजाक में शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते और लेखकों की रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते थे।

Question - 13 : -
फ़ादर का सान्निध्य पाकर लेखक को ऐसा क्यों लगन्ना कि वह किसी देवदारु वृक्ष की छाया में खड़ा हो ?

Answer - 13 : -

फ़ादर का सान्निध्य और उत्सवों के अवसर पर फ़ादर बड़े भाई और पुरोहित के समान साथ खड़े होते और आशीर्वाद से भर देते। लेखक को उसका बच्चा और उसके मुँह में फ़ादर द्वारा अन्न डालना और उनकी आँखों में चमकता वात्सल्य अब भी याद है। यह वात्सल्य और सान्निध्य उसी तरह शीतलता से भर देता, जैसे देवदारु वृक्ष की शीतल छाया किसी यात्री को शीतलता से भर देती है।

Question - 14 : -
फ़ादर की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनका स्वभाव भी किसी सीमा तक उन्हें संन्यासी बनाने में सहायक सिद्ध हुई’–स्पष्ट कीजिए।

Answer - 14 : -

फ़ादर के परिवार में उनके माता-पिता, दो भाई और एक बहन थे। उनके पिता व्यवसायी थे। एक भाई बेल्जियम में ही पादरी हो गया था। दूसरा भाई काम करता था, उसका भरा-पूरा परिवार था। उनकी बहन जिद्दी और सख्त थी। उसने । बहुत देर से शादी की। पिता और भाइयों के प्रति फ़ादर के मन में शुरू से ही लगाव न था, पर वे अपनी माँ को बराबर याद किया करते थे। इस तरह उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और स्वभाव उन्हें संन्यासी बनाने में सहायक सिद्ध हुआ।

Question - 15 : -
संन्यासी बनने से पूर्व फ़ादर ने धर्म गुरु के सामने क्या शर्त रखी और क्यों?

Answer - 15 : -

संन्यासी बनने से पूर्व फ़ादर जब इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे, तो उसे बीच में ही छोड़कर धर्मगुरु के पास गए और संन्यास लेने की बात कही। उन्होंने धर्मगुरु के सामने भारत जाने की शर्त रखी क्योंकि भारत की प्राचीन संस्कृति और यहाँ जन्म ले चुके महापुरुषों ने उनके मन में भारत के प्रति आकर्षण पैदा किया होगा।

Question - 16 : -
भारत आने के लिए पूछने पर फ़ादर क्या जवाब देते थे?

Answer - 16 : -

फ़ादर बुल्के से अब पूछा जाता था कि आप भारत क्यों आए तो वे बड़ी सरलता से कह देते थे-प्रभु की इच्छा। वे यह भी बताते थे कि उनकी माँ ने बचपन में ही कह दिया था कि यह लड़का तो गया हाथ से। सचमुच माँ की यह भविष्यवाणी सत्य साबित होती गई। फ़ादर के मन में संन्यासी (पादरी) बनने की इच्छा बलवती होती गई और वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़कर भारत आ गए।

Question - 17 : -
फ़ादर बुल्के ने भारत में बसने के लिए क्या आवश्यक समझा? उन्हें किस तरह हासिल किया?
अथवा
भारत आने पर फ़ादर द्वारा शिक्षा-दीक्षा प्राप्ति के सोपानों का क्रमिक वर्णन कीजिए।

Answer - 17 : -

भारत आने पर फ़ादर ने सबसे पहले यहाँ शिक्षा-दीक्षा लेना आवश्यक समझा। इसके लिए उन्होंने ‘जिसेट संघ’ में पहले दो साल पादरियों के बीच धर्माचार की पढ़ाई की, फिर नौ-दस वर्ष दार्जिलिंग में पढ़ते रहे। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता से बी०ए० किया और फिर इलाहाबाद से एम०ए० करने के उपरांत अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।

Question - 18 : -
‘संन्यासी होने के बाद भी फ़ादर का अपनी माँ से स्नेह एवं प्रेम कम न हुआ’–स्पष्ट कीजिए।

Answer - 18 : -

लेखक और फ़ादर के घनिष्ठ संबंध थे। फ़ादर लेखक को अक्सर माँ की स्मृतियों में डूबा हुआ देखा करता था। फ़ादर की माँ की चिट्ठियाँ प्रायः उनके पास आया करती थीं। इन चिट्ठियों को वे अपने अभिन्न मित्र डॉ. रघुवंश को दिखाया करते थे। भारत बसने के बाद भी वे अपनी माँ और मातृभूमि को नहीं भूल पाए थे। इससे स्पष्ट है कि संन्यासी होने के बाद भी फ़ादर का अपनी माँ से स्नेह एवं प्रेम कम न हुआ

Question - 19 : -
फ़ादर बुल्के ने हिंदी के उत्थान के लिए क्या-क्या प्रयास किए?

Answer - 19 : -

भारत में रहते हुए फ़ादर ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम०ए० किया। इससे ज्ञात होता है कि हिंदी से उन्हें विशेष लगाव था। उन्होंने हिंदी के उत्थान के लिए

हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अकाट्य तर्क प्रस्तुत करते।
हर मंच से हिंदी की दुर्दशा पर दुख प्रकट करते।
हिंदी वालों द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर दुख प्रकट करते।
वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए चिंतित रहते।

Question - 20 : -
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ के आधार पर फ़ादर की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Answer - 20 : -

‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ पाठ से फ़ादर बुल्के की निम्नलिखित विशेषताओं का ज्ञान होता है

फ़ादर संकल्प के संन्यासी थे, मन के नहीं।
फ़ादर संबंध बनाकर उसे निभाना जानते थे।
फ़ादर अपने परिचितों एवं परिवार वालों के साथ स्नेहमय संबंध रखते थे।
वे सुख-दुख में परिवार के सदस्यों की भाँति खड़े नजर आते थे।
वे भारत और हिंदी से असीम लगाव रखते थे।

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