Question -
Answer -
इसमें ब्रज-दुलारे, नटवर-नटेश, कलाप्रेमी कृष्ण की सुंदर रूप-छवि प्रस्तुत की गई है। उनका रूप मनमोहक है। साँवले शरीर पर पीले वस्त्र और गले में बनमाला है। पाँवों में पाजेब और कमर में मुँघरूदार आभूषण हैं। उनकी चाल संगीतमय है।
अनुप्रास की छटा देखते ही बनती है। शब्द पायल की तरह झनकते प्रतीत होते हैं। यथा
पाँयनि नूपुर मंजु बजें’ में आनुप्रासिकता है। इसका नाद-सौंदर्य दर्शनीय है।।
:कटि किंकिनि कै धुनि की’ में ‘क’ ध्वनि और ‘न’ की झनकार मिल गए-से प्रतीत होते हैं।
‘पट पीत’ और ‘हिये हुलसै बनमाल’ में भी अनुप्रास है।
‘भाषा’ कोमल, मधुर और संगीतमय है। सवैया छंद का माधुर्य मन को प्रभावित करता है।