Chapter 17 संस्कृति Solutions
Question - 11 : - संस्कृति और सभ्यता क्या हैं?
Answer - 11 : -
संस्कृति एक संस्कृत मनुष्य की वह योग्यता प्रेरणा अथवा प्रवृत्ति है जिसके बल पर वह किसी नए तथ्य का दर्शन करता है। इस संस्कृति के द्वारा समाज के लिए कल्याणकारी आविष्कार कर जाता है जो मनुष्य को सभ्य बनने में सहायता करता है वही सभ्यता है।
Question - 12 : - एक संस्कृत मानव और सभ्य मानव में क्या अंतर है?
Answer - 12 : -
एक संस्कृत मानव वह है जो अपने ज्ञान एवं बुधि-विवेक से किसी नए तथ्य का दर्शन और आविष्कार करता है। इसके विपरीत सभ्य मानवे वह है जो इन आविष्कारों का उपयोग करके अपना रहना-सुधारता है और सभ्य बनता है।
Question - 13 : - न्यूटन से भी अधिक ज्ञान रखने वाले और उन्नत जीवन शैली अपनाने वाले को संस्कृत कहेंगे या सभ्य और क्यों?
Answer - 13 : -
न्यूटन से भी अधिक ज्ञान रखने वाले और उन्नत जीवन शैली अपनाने वाले व्यक्ति को सभ्य कहा जाएगा क्योंकि ऐसा व्यक्ति न्यूटन द्वारा आविष्कृत गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के अलावा भले ही बहुत कुछ जानता हो पर उसने किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया है, बल्कि दूसरों के आविष्कारों का प्रयोग करते-करते सभ्य बन गया है।
Question - 14 : - संस्कृत व्यक्तियों के लिए भौतिक प्रेरणा का क्या महत्त्व है, उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए?
Answer - 14 : -
संस्कृत व्यक्तियों का सदा यही प्रयास रहता है कि वे अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नए तथ्य की खोज करें। इसमें भौतिक प्रेरणाओं का बहुत योगदान होता है। ऐसा व्यक्ति तन बँका और पेट भरा होने पर भी खाली नहीं बैठता है और भौतिक प्रेरणाओं के प्रति जिज्ञासु बना रहता है और इस जिज्ञासा को शांत करने में प्रयासरत रहता है।
Question - 15 : - सिद्धार्थ ने मानव संस्कृति में किस तरह योगदान दिया?
Answer - 15 : -
सिद्धार्थ राजा शुद्धोदन के पुत्र थे जिनके पास सुख-सुविधाओं का विशाल भंडार था पर सिद्धार्थ को मानवता का दुख दुखी कर रहा था। उन्होंने इस दुखी मानवता के दुख के निवारणार्थ अपने सुख को ठोकर मारकर ज्ञान की प्राप्ति हेतु निकल पड़े जिसका लाभ उठाकर मनुष्य दुखों से छुटकारा पा सके।
Question - 16 : - संस्कृति के असंस्कृति बनने का तात्पर्य स्पष्ट करते हुए बताइए इस असंस्कृति का परिणाम क्या होगा?
Answer - 16 : -
संस्कृति मनुष्य का सदा कल्याण करती है। जब संस्कृति से कल्याण की भावना समाप्त होती है तो वह असंस्कृति बन जाती है। संस्कृति मनुष्य को सभ्य बनाती है परंतु इस असंस्कृति का परिणाम यह होगा कि सर्वत्र असभ्यता का बोलबाला होगा जिससे मनुष्यता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।
Question - 17 : - संस्कृति का कूड़ा-करकट’ किसे कहा गया है?
Answer - 17 : -
संस्कृति का कूड़ा-करकट उन सड़ी गली परंपराओं और कुरीतियों को कहा गया है जो समाज के विकास में बाधक सिद्ध होने के साथ ही मानवता हेतु अकल्याणकारी सिद्ध होती है तथा कुछ लोगों को दबाने का प्रयास करती हैं।
Question - 18 : - ‘संस्कृति’ पाठ का उद्देश्य या उसमें निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
Answer - 18 : -
‘संस्कृति’ पाठ से स्पष्ट होता है कि ज्ञानी एवं बुद्धिमान लोगों द्वारा नए-नए आविष्कार करने की प्रेरणा उसकी संस्कृति है जिससे मानवता का कल्याण होता है। इसी संस्कृति का परिणाम सभ्यता है। संस्कृति के मूल में कल्याण की भावना समाई होती है। मनुष्य को अपने कार्यों से कल्याण की भावना में कमी नहीं आने देना चाहिए। मनुष्य का सदा यही प्रयास होना चाहिए कि उसकी सभ्यता असभ्यता न बनने पाए।