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Chapter 10 नेताजी का चश्मा Solutions

Question - 11 : -
‘भई खूब! क्या आइडिया है। इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

Answer - 11 : -

एक भाषा के शब्द जब ज्यों के त्यों दूसरी भाषा में आते हैं तो इससे भाषा सरल, सहज और बोधगम्य बनती है। वह अधिकाधिक लोगों द्वारा प्रयोग और व्यवहार में लाई जाती है। कुछ ही समय में ये शब्द उसी भाषा के बनकर रह जाते हैं।

Question - 12 : -
नगरपालिका द्वारा किसकी मूर्ति को कहाँ लगवाने का निर्णय लिया गया?

Answer - 12 : -

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति को नगरपालिका द्वारा लगवाने का निर्णय लिया गया। इस मूर्ति को कस्बे के बीचोबीच चौराहे पर लगवाने का फैसला किया गया। ताकि हर आने-जाने वाले की दृष्टि उस पर पड़ सके।

Question - 13 : -
जिस कस्बे में मूर्ति लगवाई जानी थी उसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

Answer - 13 : -

जिस कस्बे में नेताजी की मूर्ति लगवाई जानी थी, वह बहुत बड़ा नहीं था। वहाँ कुछ मकान पक्के थे। एक छोटा-सा बाज़ार था। वहीं, लड़के-लड़कियों का एक स्कूल, सीमेंट का एक छोटा कारखाना, दो ओपन एअर सिनेमाघर और नगरपालिका थी।

Question - 14 : -
मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को क्यों सौंपना पड़ा?

Answer - 14 : -

मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को इसलिए सौंपना पड़ा क्योंकि अधिकारी ने फाइलों और मूर्ति संबंधी अन्य बातों के निर्णय में बहुत अधिक समय ले लिया। ये अधिकारी अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही मूर्ति बनवाने का काम कर लेना चाहते थे, इसलिए जल्दबाजी में इसे स्थानीय ड्राइंग मास्टर को सौंप दिया।

Question - 15 : -
नगरपालिका मूर्ति लगवाने में ठोस निर्णय क्यों नहीं ले पा रही थी?

Answer - 15 : -

नगरपालिका मूर्ति के संबंध में ठोस निर्णय इसलिए नहीं ले पा रही थी क्योंकि नगरपालिका को अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी न थी। उन्होंने पत्र व्यवहार में काफ़ी समय निकाल दिया। उन्हें अपना कार्यकाल समाप्त होने का डर सता रहा था। इसके अलावा उन्हें मूर्ति के लिए उपलब्ध बजट भी कम होता दिख रहा था।

Question - 16 : -
नेताजी की मूर्ति का संक्षिप्त चित्रण कीजिए।

Answer - 16 : -

कस्बे की हृदयस्थली के चौराहे पर नेताजी की जो मूर्ति लगाई गई थी वह टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक दो फुट ऊँची थी। संगमरमर की बनी इस मूर्ति में नेताजी सुंदर लग रहे थे। उन्हें देखते ही उनके नारे याद आने लगते थे।

Question - 17 : -
नेताजी की मूर्ति में कौन-सी कमी खटकती थी?

Answer - 17 : -

नेताजी की मूर्ति सुंदर थी। वह अपने उद्देश्य में सार्थक सिद्ध हो रही थी। उसे देखते ही नेताजी द्वारा किए गए कार्य याद आने लगते थे, परंतु इस मूर्ति में एक कमी जो खटकती थी वह थी-मूर्ति पर चश्मा न होना। चश्मा न होने से नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा-सा प्रतीत होता था।

Question - 18 : -
मूर्ति की कमी को कौन और किस तरह पूरा करने का प्रयास करता था?

Answer - 18 : -

नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन थी। इससे उनका व्यक्तित्व अपूर्ण-सा लगता था। इस कमी को पूरा करने का प्रयास कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा दिया करता था। इस प्रकार वह मूर्ति की कमी और नेताजी के व्यक्तित्व की अपूर्णता को भरने का प्रयास करता था।

Question - 19 : -
कैप्टन कौन था? उसका व्यक्तित्व नाम के विपरीत कैसे था?

Answer - 19 : -

कैप्टन फेरी लगाकर चश्मे बेचने वाला एक मरियल और लँगड़ा-सा व्यक्ति था, जो हाथ में संदूकची और एक बाँस में चश्मे के फ्रेम टाँगे घूमा करता था। कैप्टन नाम से लगता था कि वह फ़ौजी या किसी सिपाही जैसा शारीरिक रूप से मजबूत रोबीले चेहरे वाला बलिष्ठ व्यक्ति होगा, पर ऐसा कुछ भी न था।।

Question - 20 : -
कैप्टन मूर्ति के चश्मे को बार-बार क्यों बदल दिया करता था?

Answer - 20 : -

कैप्टन देशभक्त तथा शहीदों के प्रति आदरभाव रखने वाला व्यक्ति था। वह नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर दुखी होता था। वह मूर्ति पर चश्मा लगा देता था पर किसी ग्राहक द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर उतारकर उसे दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया करता था।

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