Question -
Answer -
बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता
भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर न शोक मनाया और न उसके क्रिया-कर्म को ज्यादा तूल दिया।
उन्होंने पुत्र केशव को स्वयं मुखाग्नि न देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी।
उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना।
वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।