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Question -

प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?



Answer -

हिमालय का स्वरूप पल-पल बदलता है। प्रकृति इतनी मोहक है कि लेखिका किसी बुत-सी ‘माया’ और ‘छाया’ के खेल को देखती रह जाती है। उसे लगता है कि प्रकृति उसे अपना परिचय दे रही है। वह उसे और सयानी (बुद्धिमान) बनाने के लिए अपने रहस्यों का उद्घाटन कर रही है। प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर उसे अनेक अनुभूतियाँ होती हैं। उसे लगता है जीवन की सार्थकता झरनों और फूलों की भाँति स्वयं को दे देने में अर्थात् परोपकार में ही है। झरनों की भाँति निरंतर चलायमान रहना और फूलों की भाँति अपनी महक लुटाना ही जीवन का सच्चा स्वरूप है।

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