Question -
Answer -
गंतोक से यूमथांग के रास्ते पर जाते हुए लेखिका प्राकृतिक दृश्य और हिमालय के सौंदर्य को देखकर अभिभूत थी। सौंदर्य की अधिकता के कारण वह मंत्रमुग्ध हो तंद्रिल अवस्था में चल रही थी कि तभी उसने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ रही हैं। गुथे आटे-सी कोमल काया और हाथों में कुदाल-हथौड़े। इनमें से अनेक की पीठ पर बँधे बच्चे। स्वर्गीय सौंदर्य, नदी फूल, वादियाँ और झरने के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की यह जंग जैसे दृश्य लेखिका को झकझोर गए।