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Chapter 9 हाइड्रोजन (Hydrogen) Solutions

Question - 31 : - जल-अपघटन’ (hydrolysis) तथाजलयोजन’ (hydration) पदों में क्या अन्तर है?

Answer - 31 : -

जल-अपघटन से जल के H+ तथा OH आयन लवण के क्रमश: ऋणायन तथा धनायन से क्रिया कर मूल अम्ल तथा मूल क्षार (original base) का निर्माण करते हैं। जैसे,


जलयोजन (hydration) में जल (H2O), लवण के अणु अथवा आयनों के साथ जुड़कर जलयोजित लवण (hydrated salt) या जलयोजित आयन (hydrated ion) बनाता है। जैसे,

Question - 32 : - लवणीय हाइड्राइड किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटा सकते हैं?

Answer - 32 : -

लवणीय हाइड्राइड (जैसे–NaH, CaH2) कमरे के ताप पर जल से अभिक्रिया करके उनके हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं तथा H2 गैस निकालते हैं। इस गुण के कारण इनका उपयोग कार्बनिक यौगिकों से जल की अति सूक्ष्म मात्रा निकालने में किया जाता है। जिस कार्बनिक यौगिक को शुद्ध करना होता है। उसे एक लवणीय हाइड्राइड के साथ आसवित किया जाता है। H2 वायुमण्डल में निष्कासित हो जाती। है और धात्विक हाइड्रॉक्साइड फ्लास्क में शेष रह जाता है। जल रहित कार्बनिक यौगिक आसवित हो। जाता है।

Question - 33 : - परमाणु क्रमांक 15, 19, 23 तथा 44 वाले तत्व यदि डाइहाइड्रोजन से अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाते हैं तो उनकी प्रकृति से आप क्या आशा करेंगे? जल के प्रति इनके व्यवहार की तुलना कीजिए।

Answer - 33 : -

  1. तत्त्व जिसका Z = 15 है, फॉस्फोरस (एक धातु) है। यह एक सहसंयोजक हाइड्राइड PH; बनता है।
  2. तत्त्व जिसका Z= 19 है पोटैशियम (एक क्षार धातु) है। यह एक लवणीय हाइड्राइड (saline | hydride) K+H बनाता है।
  3. तत्त्व जिसका Z = 23 है, वेनेडियम (एक संक्रमण धातु) है। यह एक धात्विक हाइड्राइड VH0.56 बनाता है।
  4. तत्त्व जिसका Z= 44 है, रथनियम (एक समूह-8-तत्त्व) है। यह कोई हाइड्राइड नहीं बनाता है। उपर्युक्त सभी हाइड्राइडों में से पोटैशियम हाइड्राइड जल से अभिक्रिया करता है जैसा नीचे दिखाया गया है।

2KH(s)+ 2H2O(l) → 2KOH(aq) + 2H2 (g)

Question - 34 : -
जब ऐलुमिनियम (III) क्लोराइड एवं पोटैशियम क्लोराइड को अलग-अलग-
(i) सामान्य जल,
(ii) अम्लीय जल एवं
(iii) क्षारीय जल से अभिकृत कराया जाएगा तो |आप किन-किन विभिन्न उत्पादों की आशा करेंगे? जहाँ आवश्यक हो, वहाँ रासायनिक समीकरण दीजिए।

Answer - 34 : -

पोटैशियम क्लोराइड (KCI) प्रबल क्षार और अम्ल से बना लवण है। साधारण जल में यह अपने संघटक आयनों में विघटित हो जाता है। इस प्रक्रम में कोई जल-अपघटन नहीं होता है।


KCI
का जलीय विलयन उदासीन होता है। इसलिए यह अम्लीय जल में अथवा क्षारीय जल में कोई अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करता है।
ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl3) दुर्बल क्षार और प्रबल अम्ल से बना लवण है। यह सामान्य जल में जल-अपघटित (hydrolyse) होकर अम्लीय विलयन बनाता है, जैसा नीचे दिखाया गया है।


अम्लीय जल में H+ आयन Al(OH)3 से क्रिया करके Al3+ आयन और H2O बनाता है। इस प्रकार अम्लीय जल में जल-अपघटन प्रक्रिया अवरुद्ध हो जाती है और Al3+ और Cl आयन विलयन में स्थित रहते हैं।


क्षारीय जल में Al(OH)3 क्रिया करके AlO2 आयन देता है।

Question - 35 : - H2O2 विरंजन कारक के रूप में कैसे व्यवहार करता है? लिखिए।

Answer - 35 : -

H2O के विरंजक गुण का कारण इसके अपघटन से उत्पन्न होने वाली नवजात ऑक्सीजन

H2O2 →H2O+[O]

नवजात ऑक्सीजन (nascent oxygen) रंगीन पदार्थों को रंगहीन उत्पादों में ऑक्सीकृत कर देती है।

रंगीन पदार्थ +[O] → रंगहीन

इस प्रकार, H2O2 का विरंजक गुण रंगीन पदार्थों के नवजात ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकरण के कारण है। इसका उपयोग रेशम, वॉल, लकड़ी, सूती वस्त्र आदि के विरंजक के रूप में किया जाता है।

Question - 36 : -
निम्नलिखित पदों से आप क्या समझते हैं?
(i) हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था,
(ii) हाइड्रोजनीकरण,
(iii) सिन्गैस,
(iv) भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया तथा
(v) ईंधन सेल।

Answer - 36 : - (i) हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था(Hydrogen Economy)
हम सभी जानते हैं कि कोयला तथा पेट्रोलियम सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाले ईंधन हैं, परन्तु ये संसाधन अत्यन्त तीव्र दर से समाप्त होते जा रहे हैं तथा आगामी भविष्य में उद्योग तथा परिवहन इससे बहुत अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त ये संसाधन मानव-स्वास्थ्य के प्रति भी अत्यन्त हानिकारक हैं; क्योंकि ये वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं। इनके दहन के फलस्वरूप उत्पन्न अनेक विषाक्त गैसे-कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड वायुमण्डल में मिल जाती हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए वैकल्पिक ईंधनों की खोज सदैव होती रही है। इस सन्दर्भ में भावी विकल्पहाइड्रोजन अर्थव्यवस्था है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मूल सिद्धान्त ऊर्जा का द्रव हाइड्रोजन अथवा गैसीय हाइड्रोजन के रूप में अभिगमन तथा भण्डारण है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मुख्य ध्येय तथा लाभऊर्जा का संचरण विद्युत-ऊर्जा के रूप में होकर हाइड्रोजन के रूप में होना है। हमारे देश में पहली बार अक्टूबर, 2005 में आरम्भ परियोजना में डाइहाइड्रोजन स्वचालित वाहनों के ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया गया। प्रारम्भ में चौपहिया वाहन के लिए 5 प्रतिशत डाइहाइड्रोजन मिश्रित CNG को प्रयोग किया गया। बाद में डाइहाइड्रोजन की प्रतिशतता धीरे-धीरे अनुकूलतम स्तर तक बढ़ाई जाएगी।
आजकल डाइहाइड्रोजन का उपयोग ईंधन सेलों में विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। ऐसी आशा की जाती है कि आर्थिक रूप से व्यवहार्य तथा डाइहाइड्रोजन के सुरक्षित स्रोत का पता आने वाले वर्षों में लग सकेगा तथा उसका उपयोग ऊर्जा के रूप में हो सकेगा।
(ii)
हाइड्रोजनीकरण(Hydrogenation)
असंतृप्त कार्बनिक यौगिक हाइड्रोजन से सीधे संयोग करके संतृप्त यौगिक बनाते हैं, यह अभिक्रिया
हाइड्रोजनीकरण कहलाती है। यह अभिक्रिया उत्प्रेरक की उपस्थिति में होती है तथा इन अभिक्रियाओं से अनेक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक हाइड्रोजनीकृत उत्पाद प्राप्त होते हैं।
वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation ofVegetable Oils)-473K पर निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में वनस्पति तेलों; जैसे-मूंगफली के तेल, बिनौले के तेल में हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर तेल ठोस वसाओं, जिन्हें वनस्पति घी कहा जाता है, में परिवर्तित हो जाते हैं। वास्तव में तेल बन्ध की उपस्थिति के कारण असंतृप्त होते हैं। हाइड्रोजनीकरण पर ये बन्ध बन्ध में परिवर्तित हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप असंतृप्त तेल संतृप्त वसा में परिवर्तित हो जाते हैं।

ओलिफिन का हाइड्रोफॉर्मिलीकरण (Hydroformylation of Olefins)-ओलिफिन का हाइड्रोफॉर्मिलीकरण कराने पर ऐल्डिहाइड प्राप्त होता है, जो ऐल्कोहॉल में अपचयित हो जाता है।

उपर्युक्त के अतिरिक्त कोयले का हाइड्रोजनीकरण करने पर द्रव हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण प्राप्त होता है। जिसे आसुत करने पर कृत्रिम पेट्रोल प्राप्त होता है।
(iii)
सिनौस (Syngas) हाइड्रोकार्बन अथवा कोक की उच्च ताप पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिक्रिया कराने पर डाइहाइड्रोजन प्राप्त होती है।

उदाहरणस्वरूप-

CO एवं H2 के मिश्रण को वाटर गैस कहते हैं। CO एवं H2 का यह मिश्रण मेथेनॉल तथा अन्य कई हाइड्रोकार्बनों के संश्लेषण में काम आता है। अतः इसेसंश्लेषण गैसयासिन्गैस’ (syngas) भी कहते हैं। आजकल सिन्गैस वाहितमले (sewage waste), अखबार, लकड़ी का बुरादा, लकड़ी की छीलन आदि से प्राप्त की जाती है। कोल से सिन्गैस का उत्पादन करने की प्रक्रिया कोकोलगैसीकरण (coal-gasification) कहते हैं-

(iv) भाप-अंगार गैस सृति अभिक्रिया (Water gas Shift reaction) सिन्गैस में उपस्थित कार्बन मोनोक्साइड की आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से क्रिया कराने पर डाइहाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है-

यहभाप-अंगार गैस सृति अभिक्रिया’ (water gas shift reaction) कहलाती है। वर्तमान में लगभग 77 प्रतिशत डाइहाइड्रोजन का औद्योगिक उत्पादन शैल रसायनों (petro-chemicals), 18 प्रतिशत कोल, 4 प्रतिशत जलीय विलयनों के विद्युत-अपघटन तथा 1 प्रतिशत उत्पादन अन्य स्रोतों से होता है।
(v)
ईंधन सेल (Fuel Cell) , वह युक्ति जो ईंधन की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है, ईंधन सेल कहलाती है। आजकल डाइहाइड्रोजन का प्रयोग ईंधन सेलों में विद्युत-उत्पादन के लिए किया जाता है।

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