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Chapter 4 साँवले सपनों की याद Solutions

Question - 1 : -
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया? [Imp.]

Answer - 1 : -

एक बार सालिम अली के बचपन में उनकी एअरगन से घायल होकर एक गौरैया गिर पड़ी। सालिम अली ने इस पक्षी की देखभाल, सुरक्षा और इसके बारे में नाना प्रकार की जानकारियाँ एकत्र करनी शुरू कर दी। इससे उनके मन में पक्षियों के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। इस घटना और पक्षियों के बारे में बढ़ती रुचि और जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया।

Question - 2 : -
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?

Answer - 2 : -

सालिम अली तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पास केरल की “साइलेंट वैली” को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर गए। उन्होंने प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने, पक्षियों की रक्षा, वनों की अंधाधुंध कटाई आदि बातें उठाई होंगी। सालिम अली के ऐसी निःस्वार्थ बातें तथा पर्यावरण के प्रति चिंता को देख कर चौधरी साहब की आँखें भर आईं होंगी।

Question - 3 : -
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरेया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”

Answer - 3 : -

लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस प्रकृति और पक्षियों से असीम प्रेम करते थे। वे अपने घर की छत पर बैठने वाली गौरैया को बहुत प्रेम करते थे। वे घंटों उसके साथ समय बिताते थे। गौरैया और लॉरेंस एक-दूसरे से घुल-मिल गए थे। पक्षियों के प्रति लॉरेंस के इसी प्रेम को वह बताना चाहती थी।

Question - 4 : -
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे। [Imp.]

Answer - 4 : -

(क) अंग्रेजी के कवि डी.एच. लॉरेंस प्रकृति के प्रेमी थे। उनका जीवन प्रकृतिमय हो चुका था। उन्हीं की भाँति सालिम अली भी स्वयं को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुके थे। यहाँ तक कि वे स्वयं प्रकृति के समान सहज-सरल, भोले और निश्छल हो चुके थे।
यहाँ नैसर्गिक जिंदगी के प्रतिरूप के दो अर्थ हैं1. प्रकृति में खो जाना; प्रकृतिमय हो जाना। 2. प्रकृति के समान सहज-सरले हो जाना।।

(ख) लेखक कहना चाहता है कि सालिम अली की मृत्यु के बाद वैसा पक्षी-प्रेमी और कोई नहीं हो सकता। सालिम अली रूपी पक्षी मौत की गोद में सो चुका है। अतः अब अगर कोई अपने दिल की धड़कन उसके दिल में भर भी दे और अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डाल भी दे, तो भी वह पक्षी फिर-से वैसा नहीं हो सकता क्योंकि उसके सपने अपने ही शरीर और अपनी ही धड़कन से उपजे थे। वे मौलिक थे। किसी और की धड़कन और हलचल सालिम अली के सपनों को पुनः जीवित नहीं कर सकती। आशय यह है कि उनके जैसा पक्षी-प्रेमी प्रयासपूर्वक उत्पन्न नहीं किया जा सकता।

(ग) सालिम अली प्रकृति के खुले संसार में खोज करने के लिए निकले। उन्होंने स्वयं को किसी सीमा में कैद नहीं किया। वे एक टापू की तरह किसी स्थान विशेष या पशु-पक्षी विशेष से नहीं बँध गए। उन्होंने अथाह सागर की तरह प्रकृति में जो-जो अनुभव आए, उन्हें सँजोया। उनका कार्यक्षेत्र बहुत विशाल था।

Question - 5 : -
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।

Answer - 5 : -

‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार लेखक जाबिर हुसैन की भाषाशैली में निम्नलिखित विशेषताएँ दिखती हैं-

बिंबात्मकता – लेखक द्वारा इस पाठ में जगह-जगह पर इस तरह शब्द चित्र प्रस्तुत किया है कि उसका दृश्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है; जैसे-
इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली।
भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है।
मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए पक्षी को जगाना चाहेगा।
शब्दावली की विविधता – लेखक ने इस पाठ में मिली-जुली शब्दावली अर्थात् तत्सम्, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है; जैसे-
यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है।
जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वे प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं।
कब माखन के भाँड़े फोड़े थे और दूध-छाली से अपने मुँह भरे थे।
इन जैसा बर्ड-वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो।
जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा।
मुहावरेदार भाषा – लेखक ने जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग कर भाषा को सरस, रोचक एवं सजीव बना दिया है जैसे-
अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर जीने वाले पक्षियों की वकालत कौन करेगा?
पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चित्र सालिम अली ने उनके सामने रखा, उसने उनकी आँखें नम कर दी थीं।
यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी।
संवाद-शैली का प्रयोग – लेखक ने अपने इस संस्मरण में संवाद शैली द्वारा ऐसा प्रभाव उत्पन्न कर दिया है मानो दो व्यक्ति बातें कर रहे हों; जैसे-
मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा।
मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।

Question - 6 : - इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए। 

Answer - 6 : -

सालिम अली जाने-माने पक्षी-विज्ञानी थे। उन्हें पक्षियों के बारे में जानने के अलावा प्रकृति एवं पर्यावरण की भी चिंता रहती थी। वे अपने कंधों पर सैलानियों-सा बोझ लटकाए, गले में दूरबीन टाँगें पक्षियों की खोज में दूर-दराज के क्षेत्रों में निकल जाया करते थे। पक्षियों की खोज में दुर्गम स्थानों पर घंटों बैठना उनकी आदत थी।

वे पर्यावरण के प्रति भी चिंतित थे। पर्यावरण की चिंता को लेकर वे एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से भी मुलाकात कर चुके थे। वे प्रकृति की दुनिया में अथाह सागर बनकर उभरे थे।

Question - 7 : -
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।

Answer - 7 : -

‘साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ में प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली के उन सपनों का चित्रण है जो वे खुली आँखों से देखते रहे और उन्हें अनुभव करते रहे। लेखक जाबिर हुसैन ने उन्हीं सपनों की यादों का शब्द चित्र इस संस्मरण में प्रस्तुत किया है। इसके अलावा पाठ में यमुना के साँवले पानी और वृंदावन से जुड़ी यादों का संगम है। इस तरह यह शीर्षक पूरी तरह सार्थक है।

Question - 8 : -
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?

Answer - 8 : -

पर्यावरण बचाने के लिए हम निम्नलिखित रूप में अपना योगदान दे सकते हैं

  1. हमें पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना होगा तथा खाली जगहों पर नए पौधे लगाने का प्रयास करना होगा।
  2. प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का कम-से-कम प्रयोग करेंगे।
  3. ऐसी वस्तुओं का प्रयोग करेंगे, जो बायोडिग्रेबल हो अर्थात् आसानी से सड़कर जमीन में मिल जाए।
  4. छोटे पेड़-पौधों की रक्षा का विशेष प्रबंध करेंगे।
  5. फैक्ट्रियों से निकले दूषित पानी तथा कचरों का उचित तरीके से निपटारा करेंगे।
  6. हम कूड़ा-करकट इधर-उधर नहीं फेंकेंगे।
  7. पर्यावरण के प्रति हम लोगों में जागरूकता फैलाएँगे।

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