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Chapter 9 हाइड्रोजन (Hydrogen) Solutions

Question - 11 : - अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड (non-stoichiometric hydride) से आप क्या समझते हैं? क्या आप क्षारीय धातुओं से ऐसे यौगिकों की आशा करते हैं? अपने उत्तर को न्यायसंगत ठहराइए।

Answer - 11 : -

वह हाइड्राइड जिसमें धातु और हाइड्रोजन का अनुपात भिन्नात्मक होता है, अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड कहलाता है। क्षार धातु अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड नहीं बनाते। क्षार धातुओं के संयोजी कोश में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है। हाइड्राइड के निर्माण के समय, क्षार धातु अपना संयोजी (valence) इलेक्ट्रॉन जुड़ने वाले H परमाणु (approching Hatom) को दे देता है। जिसमें H परमाणु H आयन में बदल जाता है और क्षार धातु एक धन आवेश युक्त धनायन बनाती है। इसलिए, जो हाइड्राइड क्षार धातुओं द्वारा बनाये जाते हैं वे आयनिक होते हैं। चूंकि H आयन का निर्माण इलेक्ट्रॉन के क्षार धातु से हाइड्रोजन परमाणु पर पूर्ण स्थानान्तरण द्वारा होता है, इस कारण निर्मित हाइड्राइड हमेशा अरसमीकरणमितीय होगा, अर्थात् धातु तथा हाइड्रोजन का अनुपात हमेशा निश्चित होगा। इसी कारण क्षार धातु से बने हाइड्राइड हमेशा सूसमीकरणमितीय (stoichiometric) होते हैं।

Question - 12 : - हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड किस प्रकार उपयोगी है? समझाइए।

Answer - 12 : -

धातु हाइड्राइडों विशेष रूप से Ni, Pd, Ce तथा Ac के हाइड्राईडों में हाइड्रोजन धातु जालक के छिद्रों (interstices) में समा जाती है। Pd, Pt आदि धातु काफी अधिक मात्रा में हाइड्रोजन को समावेशित कर सकते हैं। इसलिये उनका उपयोग हाइड्रोजन के भण्डारण में किया जा सकता है।

Question - 13 : - कर्तन और वेल्डिंग में परमाण्वीय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी हाइड्रोजन टॉर्च किस प्रकार कार्य करती है? समझाइए।

Answer - 13 : -

(i) परमाण्वीय हाइड्रोजन टॉर्च में, दो टंगस्टन इलेक्ट्रॉड के बीच आण्विक हाइड्रोजन में विद्युत स्फुलिंग (विद्युत आर्क) प्रवाहित की जाती है। स्फुलिंग की ऊर्जा आण्विक हाइड्रोजन (H2) को परमाण्वीय हाइड्रोजन (H) में वियोजित कर देती है जैसा नीचे दिखाया गया है।

हाइड्रोजन परमाणु 0.3 सेकण्ड के पश्चात् आपस में जुड़कर H2 अणु का निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा (4300-5300 K) उत्पन्न होती है, जो कर्तन (cutting) और वेल्डिंग (welding) प्रक्रियाओं में उपयोग होती है। इस टार्च की विशेषता यह है कि H2 की उपस्थिति, के कारण धातु का ऑक्सीकरण नहीं होता।
(ii) 
ऑक्सी-हाइड्रोजन टार्च में, आणविक हाइड्रोजन (H2) को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप तीव्र गर्म ज्वाला (intensely hot flame) उत्पन्न होती है। इस टार्च का कर्तन (cutting) और वेल्डिंग (weldirag) प्रक्रियाओं में उपयोस होता है।

Question - 14 : - NH3, H2O तथा HF में से किसका काइड्रोजन बन्ध का घरिमण उच्चतम अपेक्षित है और क्यों?

Answer - 14 : -

HF का, क्योंकि F एक सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक (most electrenegative) तत्त्व है। उच्च विद्युत ऋणात्मकता (electronegativity) के कारण, यह H—F के साझे के इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है जिससे H पर धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है जिसका परिमाण NH3 और H2O में उत्पन्न हुए आवेश से अधिक होता है।

Question - 15 : - लवणीय हाइड्राइड जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके आग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2 (जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं? समझाइए।

Answer - 15 : -

लवणीय हाइड्राइड (saline hydrides) पानी के साथ प्रबल रूप में अभिक्रिया करते हैं तथा डाइहाइड्रोजन (H2) उत्पन्न करता है जो आग पकड़ लेती है, जैसे-

 

NaH(s) + H2O(l) → NaOH(aq) + H2(g)
CaH2(s) + 2H2O(l) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)

इस प्रकार उत्पन्न हुई आग CO2 (अग्निशामक) द्वारा नहीं बुझायी जा सकती क्योंकि CO2 धातु हाइड्राइड द्वारा अपचयित हो जाती है।

NaH+CO2 →HCOONa इस प्रकार की आग को बुझाने हेतु अग्निशामक (extinguish) के रूप में रेत (sand) का प्रयोग किया जा सकता है।

Question - 16 : - निम्नलिखित को व्यवस्थित कीजिए-
(i) CaH2, BeH2,
तथा TiH2, को उनकी बढ़ती हुई विद्युतचालकता के क्रम में।
(ii) LiH, NaH
तथा CsR को आयनिक गुण के बढ़ते हुए क्रम में।
(iii) H—H, D—D
तथा F—F को उनके बन्ध-वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते हुए क्रम में।
(iv) NaH, MgH2 
तथा H2O को बढ़ते हुए अपचायक गुण के क्रम में।

Answer - 16 : -

(i) BeH2 2
BeH2 
एक सहसंयोजी हाइंड्राइड है जो विद्युत धारा प्रवाहित नहीं करता है। CaH2 संलयित , अवस्था में विद्युत चालक है जबकि TiH2 कमरे के ताप पर विद्युत का चालक है।
(ii) LiHLiH
आंशिक सहसंयोजक प्रवृत्ति का होता है और Na की विद्युत ऋणात्मकता Cs से अधिक है। अत: CsH में आयनिक गुण सबसे अधिक है, जबकि LiH में सबसे कम।
(iii) F—FF2 
में, F परमाणु के एकल इलेक्ट्रॉन युग्म तथा F—F आबन्ध के आबन्ध युग्म के बीच प्रतिकर्षण होता है। इसलिए F—F की बन्ध वियोजन एंथैल्पी सबसे कम होती है।

D परमाणु H परमाणु से छोटा है। इसलिए, D—D आबन्ध की आबन्ध वियोजन एंथैल्पी (bond dissociation enthalpy) सबसे अधिक होती है। (iv) H2O< MgH2 < NaH
H2O
और MgH2 सहसंयोजक हाइड्राइड हैं। उच्च आबन्ध वियोजन ऊर्जा (high bond dissociation energy) के कारण H2O का अपचायक गुण MgH2 से कम है। NaH एक लवणीय हाइड्राइड (saline hydride) है और इसका अपचायक गुण H2O और MgH2 से अधिक है।

Question - 17 : - H2O तथा H2O2 की संरचनाओं की तुलना कीजिए।

Answer - 17 : - जल-अणु की सरंचना (Structure of WaterMolecule)-गैस-प्रावस्था में जल एक बंकित (bent) अणु है। आबन्ध कोण तथा O—H आबन्ध दूरी के मान क्रमशः 104.5° तथा 95.7 pm हैं, जैसा चित्र-2 () में प्रदर्शित किया गया है। अत्यधिक ध्रुवित अणु चित्र-2 () में तथा चित्र-2 () में जल के अणु में ऑर्बिटल अतिव्यापन दर्शाया गया है।

हाइड्रोजन परॉक्साइड अणु की संरचना (Structure of Hydrogenperoxide Molecule) हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना असमतलीय (खुली पुस्तक के समान) होती है। गैसीय प्रावस्था तथा ठोस प्रावस्था में इसकी आण्विक संरचना को चित्र-3 में दर्शाया गया है।

Question - 18 : - जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्त्व है?

Answer - 18 : -

जल का स्वतः प्रोटोनीकरण वास्तव में इसका स्वत: आयनन है जो निम्न प्रकार से सम्पन्न होता है-


जल का स्वत: प्रोटोनीकरण जल को उभयधर्मी (amphoteric) बनाता है। इसलिए, जल अम्ल और क्षार दोनों की तरह क्रिया करता है।
जल अपने से प्रबल अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर क्षार की तरह व्यवहार करता है और अपने से प्रबल क्षार से अभिक्रिया करने पर अम्ल की तरह व्यवहार करता है। जैसे-

Question - 19 : - F2 के साथ जल की अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन के पदों पर विचार कीजिए एवं बताइए कि कौन-सी स्पीशीज ऑक्सीकृत/अपचयित होती है?

Answer - 19 : -


अतः इस अभिक्रिया में जल (water) अपचायक है क्योंकि यह ऑक्सीकृत होकर O2 देता है। F2 अपचयित होकर F आयन देती है इसलिए यह ऑक्सीकारक है।

Question - 20 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए
(i) PbS(s) + H2O2(aq)→
(ii) MnO4(aq)+ H2O2(aq) →
(iii) CaO(s) + H2O(g)→
(iv) AlCl3(g) +H2O(l) →
(v) Ca3N2(s)+ H2O(l) →
उपर्युक्त को
(
) जल-अपघटन,
(
) अपचयोपचय (redox) तथा
(
) जलयोजन
अभिक्रियाओं में वर्गीकृत कीजिए।

Answer - 20 : -

  1. PbS(s) + 4H2O2 (aq)- PbSO4 (s) +4H2O(l) (अपचयोपचय अभिक्रिया)
  2. 2MnO4 (aq) + 5H2O2 (aq) + 6H+ (aq) → 2Mn2+ (aq) + 8H2O(l) + 5O2(g) (अपचयोपचय अभिक्रिया)
  3. CaO(s)+ H2O(g) + Ca(OH)2 (aq) (जलयोजन अभिक्रिया)
  4. AlCl3 (g) + 3H2O(7) → Al(OH)3 (s)+ 3HCl (aq) (जल-अपघटन अभिक्रिया)
  5. Ca3N2 (s) + 6H2O(l) → 3Ca(OH)2 (aq) + 2NH3 (aq) (जल-अपघटन अभिक्रिया)

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