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Chapter 1 सिल्वर वैडिंग Solutions

Question - 21 : -
‘सिल्वर वैडिंग’ वर्तमान युग में बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2014)

Answer - 21 : -

‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी वर्तमान युग में बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। इस कहानी में यशोधर पंत प्राचीन मूल्यों के प्रतीक हैं। उनके विपरीत उनकी संतान नए युग का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों पीढ़ियों के अपने-अपने जीवन मूल्य हैं। भूषण व यशोधर की बेटी वर्तमान समय के बदलते जीवन-मूल्यों की झलक दिखलाते हैं। नई पीढ़ी जन्म-दिन, सालगीरह आदि पर केक काटने में विश्वास रखती है। नई पीढ़ी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती है। इसके लिए वे परंपरागत व्यवस्था को छोड़ने में संकोच नहीं करते।

यशोधर बाबू परंपरा से जुड़े हुए हैं। वे सादगी का जीवन जीना चाहते हैं। संग्रह वृत्ति, भौतिक चकाचौंध से दूर, वे आत्मीयता, सामूहिकता के बोध से युक्त हैं। इन सबके कारण वे भौतिक संसाधन नहीं एकत्र कर पाते । फलतः वे घर में ही अप्रासांगिक हो जाते हैं। उनकी पत्नी बाहरी आवरण को बदल पाती है, परंतु मूल संस्कारों को नहीं छोड़ पाती। बच्चों की हठ के सम्मुख वह मॉडर्न बन जाती है। समय परिवर्तनशील होता है। जीवन-मूल्य भी अपने रूप को बदल लेते हैं।

Question - 22 : -
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में आधुनिक पारिवारिक मूल्यों के विघटन का यथार्थ चित्रण है। उदाहरण देते हुए इस कथन का विवेचन करें।

Answer - 22 : -

‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में आधुनिक पारिवारिक मूल्यों के विघटन का यथार्थपरक चित्रण है। यशोधर के परिवार में उनके बेटे, बेटी व पत्नी हैं। ये सभी आधुनिक विचारों के समर्थक हैं। उन्हें यशोधर के आदर्श व मूल्य अप्रासांगिक नज़र आते हैं। बड़ा बेटा भूषण एक प्राइवेट कंपनी में अच्छा वेतन पाता है। दूसरा बेटा आई०ए०एस० की तैयारी कर रहा है। तीसरा बेटा छात्रवृत्ति लेकर अमेरिका गया। बेटी अपनी मर्जी से शादी करना चाहती है। पत्नी अपने पुराने कष्टों के लिए पति को जिम्मेदार मानती है। यह पीढ़ी मौज-मस्ती में विश्वास रखती है। ये भौतिक संसाधनों को जीवन का अंतिम सत्य मानते हैं। दूसरी तरफ यशोधर बाबू रामलीला करवाने, रिश्तेदारों के मोह, सादगीपूर्ण जीवन, नीरस जीवन आदि मूल्यों में विश्वास रखते हैं। कई जगह वे संतान की प्रगति से ही ईर्ष्या करते हुए दिखाई देते हैं। इन सब कारणों से परिवार उन्हें कोई तवज्जो नहीं देता। इस प्रकार परिवार में तनाव होता है। पारिवारिक मूल्य विघटित होते जाते हैं।

Question - 23 : -
‘यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व हैं और नई पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उचित है।’-इस कथन के पक्ष-विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। 

Answer - 23 : -

यशोधर बाबू अपने जीवनदर्शन के कारण पुरानी परंपरा के व्यक्ति नज़र आते हैं। वे जीवनभर अपने सिद्धांतों का पालन करते रहे। उनके व्यक्तित्व पर किशनदा का प्रभाव रहा। यशोधर बाबू ने अपने पद के हिसाब से जीवन जीया। वे सहकर्मियों के साथ मधुर संबंध भी रखते थे। वे सामाजिक व्यक्ति थे। नौकरी में होने के बावजूद वे संयुक्त परिवार को मानते थे। वे सामाजिक रिश्तों को निभाते थे। वे अपनी बहन को नियमित तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा को देखने जाने के बारे में सोचते हैं। यशोधर बाबू भारतीय संस्कारों को भी अपनाते हैं।

वे अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजनसालोंसाल तक करवाते रहे। उनकी इच्छा थी कि समाज में उन्हें सम्मानित व्यक्ति समझा जाए। वे भौतिक चकाचौंध को गलत समझते थे। उन्हें अप ने बच्चों की प्रगति अच्छी लगती थी, परंतु उनका वैचारिक दायरा बहुत बड़ा नहीं था। वे अपनी आमदनी के अनुरूप खर्च करना चाहते थे। इन गुणों से उन्हें आदर्श व्यक्तित्व माना जा सकता है। नई पीढ़ी को उनके जीवन के प्रमुख तत्वों को आत्मसात करना चाहिए।

Question - 24 : -
यशोधर पंत की आँखों में नमी आने का क्या कारण हो सकता है? यदि भूषण की जगह आप होते और शेष परिस्थितियाँ ठीक कहानी की ही तरह होती तो आपका व्यवहार अपने ‘बब्बा’ के प्रति कैसा होता?

Answer - 24 : -

भूषण ने अपने पिता को ऊनी ड्रेसिंग गाउन उपहार स्वरूप दिया ताकि वह दूध लाते समय ठंड से बचा रहे। यह सुनकर पंत की आँखों में नमी आ गई। इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं

यशोधर को यह बात दिल से लगी। भूषण ने स्वयं दूध लाने की जिम्मेदारी नहीं ली। उसने पिता की सेहत के लिए तथा अपनी प्रतिष्ठा के लिए यह गाउन दिया था।
दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि यशोधर के पथप्रदर्शक किशनदा की मौत दयनीय दशा में हुई। उन्होंने परिवार नहीं बनाया। फलतः किसी ने उनकी देखभाल नहीं की। यशोधर को लगा कि उनकी देखभाल करने वाला परिवार भी है।
यदि भूषण की जगह हम होते तो हम अपने ‘बब्बा’ के प्रति अच्छा व्यवहार करते। उन्हें पूरा सम्मान दिया जाता। उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखा जाता।

Question - 25 : -
‘यशोधर बाबू चाहते हैं कि उन्हें समाज का सम्मानित बुजुर्ग माना जाए, लेकिन जब समाज ही न हो तो यह पद उन्हें क्यों कर मिले?’ यशोधर बाबू का ऐसा चाहना क्या उचित है? उनकी यह सोच आपको कहाँ तक अपील करती है?

Answer - 25 : -

यशोधर का स्वयं को सम्मानित करवाने की चाह उचित ही है। इसका कारण यह है कि यशोधर ने सारी उम्र समाज की परंपराओं का निर्वाह किया। व्यक्तिगत सुखों को तिलांजलि दी थी। आदर्श जीवन को जीया। अतः उनका चाहना ठीक है, परंतु आज समाज बदल गया है।

पुरानी पद्धति पर जीवन जीने वाले अप्रासंगिक माने जाने लगे हैं। आदर्श व्यवहार की कसौटी पर असफल हो रहा है। ऐसे माहौल में यशोधर जैसे व्यक्तियों की इच्छा धराशयी हो जाती है। ये लोग समयानुसार अपने में बदलाव नहीं कर पाते और घर में ही अकेले रह जाते हैं।


 

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