Question -
Answer -
यशोधर बाबू अपने जीवनदर्शन के कारण पुरानी परंपरा के व्यक्ति नज़र आते हैं। वे जीवनभर अपने सिद्धांतों का पालन करते रहे। उनके व्यक्तित्व पर किशनदा का प्रभाव रहा। यशोधर बाबू ने अपने पद के हिसाब से जीवन जीया। वे सहकर्मियों के साथ मधुर संबंध भी रखते थे। वे सामाजिक व्यक्ति थे। नौकरी में होने के बावजूद वे संयुक्त परिवार को मानते थे। वे सामाजिक रिश्तों को निभाते थे। वे अपनी बहन को नियमित तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा को देखने जाने के बारे में सोचते हैं। यशोधर बाबू भारतीय संस्कारों को भी अपनाते हैं।
वे अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजनसालोंसाल तक करवाते रहे। उनकी इच्छा थी कि समाज में उन्हें सम्मानित व्यक्ति समझा जाए। वे भौतिक चकाचौंध को गलत समझते थे। उन्हें अप ने बच्चों की प्रगति अच्छी लगती थी, परंतु उनका वैचारिक दायरा बहुत बड़ा नहीं था। वे अपनी आमदनी के अनुरूप खर्च करना चाहते थे। इन गुणों से उन्हें आदर्श व्यक्तित्व माना जा सकता है। नई पीढ़ी को उनके जीवन के प्रमुख तत्वों को आत्मसात करना चाहिए।