Chapter 3 दोहे Solutions
Question - 11 : - कृष्ण के साँवले शरीर पर पीला वस्त्र कैसा लग रहा है?
Answer - 11 : -
श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीला वस्त्र अत्यधिक सुशोभित हो रहा है। इस पीले वस्त्र के कारण उनका सौंदर्य बढ़ गया है। साँवले शरीर पर पीला वस्त्र ऐसे लग रहा है जैसे नीलमणि पर्वत पर प्रभातकालीन सूर्य की पीली-पीली धूप पड़ रही हो।
Question - 12 : - भयंकर गरमी का जीव-जंतुओं के स्वभाव पर क्या असर हुआ है?
Answer - 12 : -
भयंकर गरमी ने जीव-जंतुओं को इतना परेशान कर दिया है कि वे अपना स्वाभाविक वैर भी भूल बैठे हैं। प्रायः साँप और मोर को साथ नहीं देखा जाता है, क्योंकि उनमें स्वाभाविक वैर है। यही हाल बाघ और हिरन का भी है। गरमी के कारण ये एक साथ बैठे नज़र आ रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे सारा संसार तपोवन बन गया है जहाँ उनका स्वाभाविक वैर समाप्त हो गया है।
Question - 13 : - गोपियाँ बातों का आनंद लेने के लिए क्या करती हैं?
Answer - 13 : -
गोपियाँ श्री कृष्ण का सामीप्य और उनकी बातों से आनंदित होना चाहती हैं। इसके लिए कोई गोपी कृष्ण की मुरली चुरा लेती है। कृष्ण जब उससे मुरली वापस मागते हैं तो वह सौगंध खाकर मुरली चुराने से मना करती है, परंतु भौहों से हँस देती है। इसका तात्पर्य है कि मुरली उसी के पास है। अब कृष्ण उससे पुनः मुरली माँगते हैं तो वह देने से मना करती है। ताकि वह कृष्ण की बातों से आनंदित होती रहे।
Question - 14 : - कवि बिहारी ने छाया के प्रति अनूठी कल्यना की है। स्पष्ट कीजिए।
Answer - 14 : -
कवि बिहारी ने जेठ माह की प्रचंड गरमी के बीच छाया को देखकर अनूठी और सर्वथा नवीन कल्पना की है कि छाया भी गरमी से बेहाल होकर जंगल में चली गई है और वह भी घर में या पेड़ों के नीचे बैठना चाहती है अर्थात् छाया भी छाया चाहने लगी है।
Question - 15 : - बिहारी के दोहे के आधार पर नायिका नायक को संदेश भिजवाने में असमर्थ क्यों रहती है?
Answer - 15 : -
कवि बिहारी के दोहे की नायिका विरह व्यथा से पीड़ित है। इसके कारण वह इतनी दुर्बल हो गई है कि उसके हाथ और पैर हिलने लगे हैं, शरीर पसीना-पसीना हो रहा है, ऐसे में वह स्वयं नायक को पत्र लिखकर अपनी विरह व्यथा और प्रेमातुरता से अवगत नहीं करा पा रही है। वह अपने मन की बात संदेशवाहक से लोक-लाज और नारी सुलभ लज्जा के कारण नहीं कह पाती है। इस तरह वह नायक को संदेश भिजवाने में असमर्थ रहती है।
Question - 16 : - बिहारी भगवान से क्या प्रार्थना करते हैं ?
Answer - 16 : -
कवि बिहारी भगवान श्रीकृष्ण से अपना दुख दूर करने की प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे श्रीकृष्ण! आप चंद्रवंश में उत्पन्न हुए हो और अपनी इच्छा से ब्रज आकर बस गए हो। हे केशव! अब आप मेरे सारे कष्ट हर लीजिए।
Question - 17 : - बिहारी गागर में सागर भरने की कला में सिद्धहस्त हैं। कहत नटत…’ दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answer - 17 : -
कवि बिहारी कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक बातें कहने में कुशल हैं। वे अपने दोहों में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो एक ही शब्द में पूरे वाक्य का अर्थ अभिव्यंजित कर देते हैं। कहत नटत रीझत… को एक-एक शब्द पूरे वाक्य का अर्थ व्यक्त करने में समर्थ है। इस दोहे में नायक-नायिका प्रणय-निवेदन संबंधी बातें जिस तरह संकेतों-ही-संकेतों में कर लेते हैं उसकी अभिव्यक्ति एक दोहे के रूप में बिहारी जैसा कवि ही कर सकता है, अन्य कवि नहीं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि बिहारी गागर में सागर भरने की कला में सिद्धहस्त हैं।
Question - 18 : - कवि बिहारी भी कबीर की भाँति आडंबरपूर्ण भक्ति से दूर रहना चाहते थे। स्पष्ट कीजिए।
Answer - 18 : -
कवि बिहारी का मानना था कि दिखावा एवं आडंबर करने को भक्ति नहीं कहा जा सकता है। कुछ लोग हाथ में माला लेकर राम-राम रटने को भक्ति मानते हैं तो कुछ लोग रामनामी वस्त्र ओढ़कर प्रभुभक्ति कहलाने का प्रयास करते हैं।
इतना ही नहीं कुछ लोग माथे पर रामनामी तिलक लगाकर प्रभु को पाने का प्रयास करते हैं। कवि बिहारी कहते थे कि ऐसा तो वही करते हैं जिनका मन कच्चा होता है या जो अपने मन को प्रभु राम के चरणों में नहीं लगा पाते हैं। प्रभु राम को पाने के लिए किसी आडंबर की आवश्यकता नहीं। वे तो सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी तरह के विचार कबीर के थे। इस तरह स्पष्ट है कि बिहारी भी कबीर की भाँति आडंबरपूर्ण भक्ति से दूर ही रहना चाहते थे।