Question -
Answer -
(क) इस तथ्य का वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं है क्योंकि प्रत्येक देश और इसके नागरिकों को बिना उसकी सम्पन्नता एवं विपन्नता का भेद किए बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।
(ख) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लिए गए निर्णयों का असर विश्व के सभी देशों पर पड़ता है। चूँकि छोटे तथा गरीब देशों को अपने विकास के लिए अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता होती है, उनकी आवाज को सम्मान के साथ सुना जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद् के 5 स्थायी सदस्यों के पास ‘वीटो’ शक्ति का होना अलोकतांत्रिक है क्यों? उनमें से कोई भी देश अपनी इस शक्ति के प्रयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी निर्णय को रोक सकता है। अनेक अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे—अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) तथा विश्व बैंक (World Bank) भी लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के आधार पर कार्य नहीं कर रहे हैं।
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धनी देशों को अधिक वरीयता देना किसी भी तरह से लोकतंत्र को बढ़ावा नहीं देगा। अमीर एवं गरीब देश के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कोई विभेद नहीं होना चाहिए। यह वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक सहायता लाने में किसी तरह सहायक नहीं होगा, जो कि लोकतन्त्र के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए धनी एवं निर्धन देशों के बीच समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।
(घ) यह तर्क भी वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में किसी प्रकार सहायक नहीं हैं।