Question - 
            
            
            
            
            Answer - 
            (क) अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को एक लंबा और कठिन संघर्ष
करना पड़ा था। स्वतन्त्रता के पश्चात् वे देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए वचनबद्ध थे। सन् 1936 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने लोकतन्त्र के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए कहा था-“कांग्रेस भारत में पूर्ण लोकतन्त्र का समर्थन करती है और एक लोकतंत्रीय राज्य के लिए संघर्ष कर रही है।”
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान की सभी व्यवस्थाओं के बारे में समान विचार नहीं रखते थे।
इनमें से कई सदस्य देश में एकात्मक शासन प्रणाली का समर्थन करते थे जबकि अन्य संघीय व्यवस्था के पक्ष में थे। संविधान सभा में सभी विषयों पर खुलकर विचार-विमर्श किया जाता था और निर्णय प्रायः बहुमत या पारस्परिक सहमति से लिए जाते थे।
(ग) यह आवश्यक नहीं है कि जिस देश में संविधान है- वहाँ पर लोकतंत्रीय व्यवस्था ही होगी। संविधान में तानाशाही अथवा सैनिक शासन व्यवस्था भी की जा सकती है।
(घ) विश्व में कोई भी ऐसा संविधान नहीं है जिसमें परिवर्तन न किया जा सके। प्रत्येक देश में परिवर्तित होती हुई सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक परिस्थितियों के अनुसार संविधान में संशोधन करना आवश्यक होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में भी संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। सन् 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के बाद से इसमें लगभग 100 से अधिक बार संशोधन किया जा चुका है।