Question - 
            
            
            
            
            Answer - 
            बंगाल में नील के उत्पादन के धराशायी होने की परिस्थितियाँ
1.	मार्च 1859 में बंगाल के हजारों रैयतों ने नील की खेती करने से मना कर दिया। 
2.	रैयतों ने निर्णय लिया कि न तो वे नील की खेती के लिए कर्ज लेंगे और न ही बागान मालिकों के लाठीधारी गुंडों से डरेंगे। 
3.	कंपनी द्वारा किसानों को शांत करने और विस्फोटक स्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश को किसानों ने अपने विद्रोह का समर्थन माना। 
4.	नील उत्पादन व्यवस्था की जाँच करने के लिए बनाए गए नील आयोग ने भी बाग़ान मालिकों को
जोर-जबर्दस्ती करने का दोषी माना और आयोग ने किसानों को सलाह दी वे वर्तमान अनुबंधों को पूरा करें तथा आगे से वे चाहें तो नील की खेती को बंद कर सकते हैं।
इस प्रकार बंगाल में नीले का उत्पादन धराशायी हो गया।