Question -
Answer -
हाइड्रोजन एक विशिष्ट तत्व है, जो आवर्त सारणी के वर्ग 1 की क्षार धातुओं तथा वर्ग 17 के हैलोजेन गैसों के गुण प्रदर्शित करता है। इस दोहरे गुण के कारण हाइड्रोजन की आवर्त सारणी में स्थिति विवादास्पद बनी हुई है।
हाइड्रोजन के दोहरे व्यवहार का कारण इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है। हाइड्रोजन s-ब्लॉक की प्रथम तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s’ है अर्थात् हाइड्रोजन परमाणु के बाहरी कोश, जो पहला कोश भी है, में केवल एक इलेक्ट्रॉन है। हाइड्रोजन एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर H+ आयन या धनायन अर्थात् प्रोटॉन दे सकता है और एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H– आयन या ऋणायन बना सकता है।
हाइड्रोजन के सन्दर्भ में उपर्युक्त तथ्य से आवर्त सारणी में इसकी स्थिति निम्नलिखित बिन्दुओं से समझी जा सकती है-
हाइड्रोजन की क्षार धातुओं (वर्ग 1 के तत्वों से समानता
(Similarities of Hydrogen with Alkali Metals)
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronicconfiguration)–इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान है और इनके अन्तिम कोश में एक इलेक्ट्रॉन s-1 है।
1H = 1s1 11Na = 1s2,2s2 2p6,3s1
(ii) विद्युत-धनात्मक गुण (Electropositivecharacter)–एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन देते हैं।
इस व्यवहार को इस तथ्य से प्रबल समर्थन मिलता है कि जब अम्लीकृत जल को विद्युत-अपघटन किया जाता है तो कैथोड पर हाइड्रोजन मुक्त होती है। इसी प्रकार गलित सोडियम क्लोराइड के विद्युत अपघटन पर कैथोड पर सोडियम, (क्षार धातु) मुक्त होती है।
(iii) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state) हाइड्रोजन तथा क्षार धातु अपने यौगिकों में +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। उदाहरणार्थ-HCl, NaCl आदि।
(iv) रासायनिक बन्धुता (Chemical affinity)-हाइड्रोजन तथा क्षार धातुएँ विद्युत धनात्मक प्रकृति के होते हैं। अतः इनमें विद्युत-ऋणी तत्वों के प्रति बन्धुता पाई जाती है अर्थात् ये तीव्रता से इनके साथ संयोग करते हैं। उदाहरणार्थ-
सोडियम के यौगिक – Na2P, NaCl, Na2S
हाइड्रोजन के यौगिक – H2O2 HCl, H2S
(v) अपचायक प्रकृति (Reducing nature)-हाइड्रोजन तथा अन्य क्षार धातु वर्ग के सदस्य प्रबल अपचायक होते हैं; क्योंकि वे उनके यौगिकों से ऑक्सीजन को हटाते हैं। उदाहरणार्थ-
क्षार धातुओं से असमानता (Dis-similarities with Alkali Metals)
हाइड्रोजन क्षार धातुओं से भिन्नता भी दर्शाता है। इनका वर्णन निम्नवत है-
- क्षार धातुएँ प्रारूपिक धातुएँ (typical metals) होती हैं, जबकि हाइड्रोजन एक अधातु है।
- हाइड्रोजन द्विपरमाणुक (diatomic) होती है, जबकि क्षार धातुएँ एकपरमाणुक होती हैं।
- क्षार धातुओं की आयनन ऊर्जा (सोडियम की आयनन ऊर्जा = 496 kJ mol-1) हाइड्रोजन (1312 kJ mol-1) की तुलना में बहुत कम होती है।
- हाइड्रोजन के यौगिक सामान्यतः सहसंयोजक होते हैं (जैसे-HCI, H2O आदि), जबकि क्षार धातुओं के यौगिक सामान्यत: आयनिक होते हैं (जैसे-NaCI, KF आदि)।
हाइड्रोजन तथा हैलोजेन की समानता (Similarities of Hydrogen and Halogens)
(i) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronicconfiguration)-इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस कारण से समान होते हैं कि इनके बाहरी कोश में अक्रिय गैस से एक इलेक्ट्रॉन कम होता है और ये एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अक्रिय गैस की स्थायी संरचना प्राप्त कर लेते हैं।
(ii) विद्युत-ऋणात्मक गुण (Electronegative character)–ये एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन देते हैं।
H+ e– → H–, X+e– → X–, (X= हैलोजेन)
(iii) द्विपरमाणुक प्रकृति (Diatomic nature)-हाइड्रोजन तथा हैलोजेन दोनों द्वि-परमाणुक | अणु बनाते हैं जिसमें सहसंयोजक बन्ध होते हैं।
H — H या H2, Cl — Cl या Cl,
(iv) ऐनोड पर विमुक्ति (Liberation atanode)-हैलाइडों के जलीय विलयन विद्युत्-अपघटन पर ऐनोड पर ऋणायन देते हैं। इसी प्रकार NaH विद्युत्-अपघटन पर ऐनोड पर H आयन देता है।
(v) आयनन एन्थैल्पी (Ionisation enthalpy)-आयनन ऊर्जा लगभग समान होती है, किन्तु क्षार धातुओं से अधिक होती है।
(vi) ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state)-हैलोजेन यौगिकों में -1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं तथा हाइड्रोजन भी अपने यौगिकों में ( धातुओं के साथ) -1 ऑक्सीकरण अवस्था । दर्शाता है।
उदाहरणार्थ-Na+H– तथा Na+F– ।
(vii) अधात्विक प्रकृति (Non-metallicnature)–हाइड्रोजन तथा हैलोजेनों का सबसे महत्त्वपूर्ण सामान्य गुण अधात्विक प्रकृति है। दोनों प्रारूपिक अधातु हैं। (viii) यौगिकों की प्रकृति (Nature of compounds)-हाइड्रोजन तथा हैलोजेन के अनेक यौगिक सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं। उदाहरणार्थ-
हाइड्रोजन के सहसंयोजक यौगिक – CH4, SiH4, GeH4
क्लोरीन के सहसंयोजक यौगिक – CCl4, SiCl4, GeCl4
यहाँ यह तथ्य महत्त्वपूर्ण है कि हाइड्रोजन तथा हैलोजेन परमाणु परस्पर सरलता से प्रतिस्थापित किए जा सकते हैं।
हैलोजेनों से असमानता (Dis-similarities with Halogens)
निम्नलिखित गुणधर्मों में हाइड्रोजन हैलोजेनों से भिन्नता रखता है-
- हैलोजेन तीव्रता से हैलाइड आयन (X–) बना लेते हैं, परन्तु हाइड्रोजन केवल क्षार तथा क्षारीय | मृदा धातुओं के साथ यौगिकों में हाइड्राइड आयन (H–) बनाता है।
- आण्विक रूप में, H परमाणुओं पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होता, जबकि X परमाणुओं . पर ऐसे तीन युग्म होते हैं। उदाहरणार्थ-
3. हैलोजेन के ऑक्साइड सामान्यतया अम्लीय होते हैं, जबकि हाइड्रोजन के ऑक्साइड उदासीन होते हैं।निष्कर्षन-हाइड्रोजन दोनों समूहों के साथ समान लक्षण रखता है। अत: इसे आवर्त सारणी में एक निश्चित स्थान देना कठिनाई का विषय है। चूंकि तत्वों के आवर्ती वर्गीकरण का आधार इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है; अतः हाइड्रोजन को क्षार धातुओं के साथ वर्ग 1 में सबसे ऊपर रखा गया है, परन्तु हाइड्रोजन की यह स्थिति पूर्ण रूप से न्यायोचित नहीं है।