Question -
Answer -
जल की उभयधर्मी प्रकृति (Amphoteric nature of water)-जल अम्ल तथा क्षारक दोनों रूपों में व्यवहार करता है। अतः यह उभयधर्मी है। ब्रान्स्टेड अवधारणा के सन्दर्भ में जल NH, के साथ अम्ल के रूप में तथा H2S के साथ क्षारक के रूप में कार्य करता है-
H2O(l) +NH3(aq) → OH– (aq) +NH+4 (aq) …..(i)
H2O(l) + H2S(aq) →H2O+ (aq)+HS– (aq) ……(ii)
जल अपने से प्रबल अम्लों के साथ क्षारक की भाँति व्यवहार करता है; जैसे—उपर्युक्त अभिक्रिया (ii) में दर्शाया गया है। इसमें जल-अणु H2S से एक प्रोटॉन ग्रहण करके H3O+आयन बनाता है। अभिक्रिया (i) में जल-अणु एक प्रोटॉन का त्याग करता है। NH3 अणु इस प्रोटॉन को ग्रहण करके NH+4 आयन बनाता है।