Question -
Answer -
(i) परमाण्वीय हाइड्रोजन टॉर्च में, दो टंगस्टन इलेक्ट्रॉड के बीच आण्विक हाइड्रोजन में विद्युत स्फुलिंग (विद्युत आर्क) प्रवाहित की जाती है। स्फुलिंग की ऊर्जा आण्विक हाइड्रोजन (H2) को परमाण्वीय हाइड्रोजन (H) में वियोजित कर देती है जैसा नीचे दिखाया गया है।
हाइड्रोजन परमाणु 0.3 सेकण्ड के पश्चात् आपस में जुड़कर H2 अणु का निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा (4300-5300 K) उत्पन्न होती है, जो कर्तन (cutting) और वेल्डिंग (welding) प्रक्रियाओं में उपयोग होती है। इस टार्च की विशेषता यह है कि H2 की उपस्थिति, के कारण धातु का ऑक्सीकरण नहीं होता।
(ii) ऑक्सी-हाइड्रोजन टार्च में, आणविक हाइड्रोजन (H2) को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप तीव्र गर्म ज्वाला (intensely hot flame) उत्पन्न होती है। इस टार्च का कर्तन (cutting) और वेल्डिंग (weldirag) प्रक्रियाओं में उपयोस होता है।