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Chapter 14 पादप में श्वसन (Respiration in Plants) Solutions

Question - 11 : - ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण क्या है?

Answer - 11 : - ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण ऑक्सीश्वसन क्रिया के विभिन्न चरणों में मुक्त हाइड्रोजन आयन्स (2H+) को हाइड्रोजनग्राही NAD या FAD ग्रहण करके अपचयित होकर NAD.2H या FAD.2H बनाता है। प्रत्येक NAD.2H अणु से दो इलेक्ट्रॉन (2e) तथा दो हाइड्रोजन परमाणुओं (2H+) के निकलकर ऑक्सीजन तक पहुँचने के क्रम में तीन और FAD.2H से दो ATP अणुओं का संश्लेषण होता है। ETS के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉन परिवहन के फलस्वरूप मुक्त ऊर्जा ADP + Pi→ ATP क्रिया द्वारा ATP में संचित हो जाती है। प्रत्येक ATP अणु बनने में प्राणियों में 7:3 kcal और पौधों में 10-12 kcal ऊर्जा संचय होती है। यह क्रिया फॉस्फोरिलीकरण (phosphorylation) कहलाती है, क्योंकि श्वसन क्रिया में यह क्रिया O2 की उपस्थिति में होती है; अतः इसे ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण (oxidativephosphorylation) कहते हैं।

Question - 12 : - सॉस के प्रत्येक चरण में मुक्त होने वाली ऊर्जा का क्या महत्त्व है?

Answer - 12 : -

(क)
कोशिका में जैव रासायनिक ऑक्सीकरण के दौरान श्वसनी क्रियाधार में संचित सम्पूर्ण रासायनिक ऊर्जा एकसाथ मुक्त नहीं होती, जैसा कि दहन प्रक्रिया में होता है। यह एन्जाइम्स द्वारा नियन्त्रित चरणबद्ध धीमी अभिक्रियाओं के रूप में मुक्त होती है। मुक्त रासायनिक ऊर्जा गतिज ऊर्जा के रूप में ATP में संचित हो जाती है।
(ख)
श्वसन प्रक्रिया में मुक्त ऊर्जा सीधे उपयोग में नहीं आती। श्वसन प्रक्रिया में मुक्त ऊर्जा का उपयोग ATP संश्लेषण में होता है।
(ग)
ATP ऊर्जा मुद्रा का कार्य करता है। कोशिका की समस्त जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा ATP के टूटने से प्राप्त होती है।
(घ)
विभिन्न जटिल कार्बनिक पदार्थों के संश्लेषण में भी ATP से मुक्त ऊर्जा उपयोग में आती है।
(ङ)
कोशिकाओं में खनिज लवणों के आवागमन में प्रयुक्त ऊर्जा ATP से ही प्राप्त होती है।

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