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Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्र शेखर वेंकट रामन Solutions

Question - 11 : -
रामन के लिए नौकरी संबंधी कौन-ए र कठिन था?

Answer - 11 : -

रामन् के लिए कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय में कम वेतन वाले प्रोफेसर के पद पर नौकरी करने संबंधी निर्णय कठिन था क्योंकि तब वे वित्त विभाग में मोटी तनख्वाह और अनेक सुविधाओं वाली नौकरी कर रहे थे।

Question - 12 : -
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया ? [CBSE 2012]

Answer - 12 : -

सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया

  1. रॉयल सोसाइटी की सदस्यता तथा ह्यूज़ पदक
  2. ‘सर’ की उपाधि
  3. नोबेल पुरस्कार
  4. रोम का मेत्यूसी पदक
  5. फिलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक
  6. सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार
  7. भारत का सर्वोच्च पुरस्कार ‘भारतरत्न’।

Question - 13 : -
रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गृया है?

Answer - 13 : -

रामन् को अधिकांश पुरस्कार एवं सम्मान तब मिला, जब देश अंग्रेजों का गुलाम था। गुलामी के कारण भारतीयों को इस तरह के शान और प्रतिभा का हकदार नहीं माना जाता था। नोबेल तथा अन्य पुरस्कार भारतीयों की प्रतिभा के प्रमाण थे, इसलिए ऐसा कहा गया है।

Question - 14 : -
रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कह?

Answer - 14 : -

रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया क्योंकि उनकी परिस्थितियाँ बिल्कुल
विपरीत थीं। वे बहुत महत्त्वपूर्ण तथा व्यस्त नौकरी पर थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त थी। समय की कमी थी। स्वतंत्र शोध के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं थीं। न ही शोध करने में कोई भविष्य था। ले-देकर कलकत्ता में एक छोटी-सी प्रयोगशाला थी जिसमें बहुत कम उपकरण थे। ऐसी विपरीत परिस्थिति में शोध करते रहना दृढ़ इच्छाशक्ति से ही संभव था। यह रामन के मन का दृढ़ हठ था जिसके कारण वे शोध जारी रख सके। इसलिए उनके प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है। यह हठयोग विज्ञान से संबंधित था, इसलिए इसे आधुनिक कहना उचित है।

Question - 15 : -
रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।

Answer - 15 : -

रामन् ने शोधकार्य करते हुए देखा कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण जब किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है। तो उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। इसका कारण यह है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन तरल या ठोस पदार्थ के रवों से टकराते हैं तो या कुछ ऊर्जा खो बैठते हैं या ग्रहण कर लेते हैं। यह ऊर्जा जिस मात्रा में ली अथवा दी जाती है, उसी हिसाब से प्रकाश का वर्णन परिवर्तन होता है। इसी को रामन् प्रभाव के नाम से जाना जाता है।

Question - 16 : -
‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?

Answer - 16 : -

‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य संभव हो सके-

  1. विभिन्न पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करना सरल, प्रामाणिक और निर्दोष हो सका।।
  2. विभिन्न अणुओं-परमाणुओं का संश्लेषण करके नए उपयोगी पदार्थ बनाने का कार्य संभव हो सका।

Question - 17 : -
देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।

Answer - 17 : -

रामन् अपनी राष्ट्रीय चेतना के कारण देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिंतन के विकास के लिए समर्पित थे। उन्होंने उच्चकोटि की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव को दूर करने के लिए रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की बंगलोर में स्थापना की। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिज़िक्स’ नामक शोध पत्रिका की शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंने अनेक शोध-छात्रों का मार्गदर्शन भी किया।

Question - 18 : -
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होनेवाले संदेशं को अपने शब्दों में लिखिए।।

Answer - 18 : -

सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने कहीं भाषण में संदेश प्रसारित नहीं किया। उन्होंने अपना जीवन जिस प्रकार जिया, वह किसी भी मौखिक संदेश से अधिक प्रभावी और सार्थक है। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी वे कलकत्ता की कामचलाऊ प्रयोगशाला में जाकर प्रयोग करते रहे। जब उन्हें भौतिकी विभाग के प्रोफ़ेसर की नौकरी मिली तो उन्होंने कम वेतन और कम सुख-सुविधाओं के बावजूद वह नौकरी स्वीकार कर ली। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें धन और सुख-सुविधा का मोह त्याग करके नई शोध के लिए जीवन अर्पित करना चाहिए। उन्होंने जिस प्रकार अनेकानेक नवयुवकों को शोध के लिए प्रेरित किया, वह भी अनुकरणीय है। उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता और भारतीयता का संस्कार नहीं त्यागा। अपना दक्षिण भारतीय पहनावा नहीं छोड़ा। यह संदेश भी अनुकरणीय है।

Question - 19 : -
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी। [CBSE 2012]

Answer - 19 : -

रामन् जिज्ञासु प्रवृत्ति के शोधरत वैज्ञानिक थे। उन्होंने शुरुआत में सरकारी नौकरी अवश्य की, परंतु अध्ययन एवं शोध का अवसर मिलते ही उन्होंने मोटा वेतन और ढेरों सुख-सुविधाएँ त्यागकर कोलकाता विश्वविद्यालय में कम वेतन वाला पद ग्रहण कर लिया। इस प्रकार उन्होंने सुख-सुविधाओं की जगह अध्ययन-अध्यापन को महत्त्व दिया।

Question - 20 : -
हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं। [CBSE 2012]

Answer - 20 : -

हमारे जीवन में हमारे आस पास जो कुछ घटता रहता है, उसका अध्ययन करना आवश्यक है। यह अध्ययन का खुला क्षेत्र है। इन घटनाओं को अनुसंधान करने वाले खोजियों की तलाश रहती है।

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