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Question -

‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूडि़यों से’ और बदलू स्वयं कहता है -” जो सुंदरता काँच की चूडि़यों में होती है लाख में कहाँ संभव है? ”ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।



Answer -

व्यंग्य वाक्य – ‘अब पहले जैसी औलाद कहाँ?’
व्याख्या – आजकल किसी भी बुजुर्ग के मुख से आमतौर पर यह सुनने मिलता है जिसमें उनके हृदय में छिपा दुःख और व्यंग्य देखने मिलता है। उनका मानना है कि आजकल की संतान बुजुर्गों को अधिक सम्मान नहीं देती।

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